हमारे साथ चलो के पाकिस्तानी छात्रों के प्रस्ताव पर भारतीय छात्राओं ने ऐसा दिया जवाब

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आरा के छात्रों के अभिभावकों के द्वारा प्राप्त

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आरा बिहार एसकेटी डॉट कॉम

यूक्रेन समेत रूस के आसपास के कई देश मेडिकल पढ़ाई के लिए भारत इसके पड़ोसी देशों के छात्रों का मन पसंदीदा स्थान रहा है भारत के कई राज्यों के हजारों छात्र वहां पर पढ़ाई के लिए गए हुए हैं लेकिन वहां की स्थिति बिगड़ने से अभी भी भारत सरकार के अथक प्रयास के बावजूद सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं युक्रेन की कई सीमाओं पर दूसरे देशों के बॉर्डर पर पहुंचने के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं । वहां से छात्रों द्वारा व्हाट्सएप और ईमेल के द्वारा जो सूचनाएं मिल रही हैं वह निश्चित रूप से काफी डराने वाले हैं । उत्तराखंड की कई छात्राएं सुरक्षित पहुंच चुकी हैं लेकिन बिहार की कई छात्र-छात्राएं भी रोमानिया हंगरी पोलैंड की सीमाओं पर भारतवासी किया प्रयासों को देख रहे हैं

वहां हजारों की तादाद में बिहार सहित भारत के तमाम राज्‍यों के छात्र पढ़ते हैं। रूस के साथ जंग के हालात में भी बिहार और तमाम राज्‍यों के हजारों छात्र-छात्रा यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इनमें से कई छात्र-छात्रा वतन वापसी के लिए पैदल भी नजदीकी देश हंगरी, रोमानिया और पोलैंड की सीमा के लिए चल पड़ रहे हैं। इन देशों की सीमा में दाखिल होकर ये छात्र भारत लौटने की गुंजाइश तलाश रहे हैं।

इस दौरान एक से बढ़कर एक हैरान करने वाली तस्‍वीरें सामने आ रही हैं
यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसी आरा की बेटियों ने बताया कि मीडिया में भारतीय उच्चायोग की सक्रियता की खबरें आ रही हैं, लेकिन उन लोगों का संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। उन लोगों ने अपनी स्थिति पर मेल भी किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कीव में कर्फ्यू लगा दिया गया है और दुकानें बंद हैं। लोकल आथरिटी भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है।

अश्विनी के पिता लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि सुबह बेटी ने बताया कि उनके साथ पढ़ रही पाकिस्तानी छात्राओं को लेने के लिए बस आई थी, उन लोगों ने भारतीय लड़कियों को भी सीमा तक पहुंचाने की पेशकश की, लेकिन बिना एंबेसी से संपर्क हुए उन लोगों ने उन लोगों के साथ बार्डर पर जाने से मना कर दिया। 


युद्ध में फंसे छात्र-छात्राओं के अभिभावक यहां बेहद चिंतित हैं। रूस के हमले की खबर आते ही यहां अभिभावक चिंता में डूबे हुए हैं। दो दिन पहले सरकार से मिले आश्वासन के बाद अभिभावकों ने कुछ राहत की सांस ली, लेकिन दो दिन बाद वहां हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। शहर के जैन कालेज पूर्वी गेट निवासी मनोज कुमार सिंह की पुत्री साक्षी श्रेया कीव में 2019 में मेडिकल की पढ़ाई करने गई थी। वॉट्सऐप काल पर उन्होंने बताया कि हवाई हमले से बचने के लिए हास्टल के बेसमेंट को बंकर में तब्दील कर दिया गया है। वहीं, सभी छात्रों ने रात गुजारी।

इस दौरान बाहर से बम धमाके और क्रास फायरिंग की आवाज आती रही। इसी शहर के दूसरे मेडिकल कालेज में फंसी सदर अस्पताल कर्मी लक्ष्मण चौधरी की पुत्री अश्विनी कुमारी ने बताया कि उनके पास जो खाने-पीने का सामान था, वह भी खत्म हो चुका है। गैस की अपूर्ति बंद हो गई है। अभी बिजली है, जिसपर कुछ खाना पक रहा है और उसे ही सब लोग थोड़ा-थोड़ा खा रहे हैं।।