क्या खत्म हो जाएगा उत्तराखंड?, वैज्ञानिकों ने जारी की भयानक भूकंप की चेतावनी





उत्तराखंड में जल्द शक्तिशाली भूकंप आ सकता है. वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर चर्चा की है कि धरती के नीचे इतनी ऊर्जा जमा हो गई है कि वह हिमालयी क्षेत्रों और खासकर उत्तराखंड में कभी भी भयानक भूकंप का रूप ले सकती है.
वैज्ञानिकों ने जारी की उत्तराखंड के लिए भयानक भूकंप की चेतावनी
उत्तराखंड राज्य इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट जैसी दो बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है. कभी-कभी इन दोनों प्लेटों के किनारे आपस में चिपक जाते हैं. जिसे लॉक्ड ज़ोन कहते हैं. इससे टेक्टोनिक स्ट्रेस पैदा होता है और भयंकर भूकंप आते हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत के अनुसार, उत्तराखंड में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. जिसने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है.
वैज्ञानिकों का कहना है की उत्तराखंड में आने वाले इस भूकंप की तीव्रता करीब 7.0 होगी. वैज्ञानिकों की माने तो 4.0 तीव्रता के भूकंप में जितनी एनर्जी निकलती है, उससे करीब 32 गुना ज्यादा एनर्जी 5.0 तीव्रता के भूकंप से निकलती है. बीते 6 महीनों की बात की जाए तो प्रदेश के अलग-अलग जिले जैसे चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में लगातार हल्के भूकंप आ रहे हैं.
लंबे समय से उत्तराखंड में नहीं आया कोई बड़ा भूकंप
वैज्ञानिकों की माने तो इन भूकंप की संख्या इतनी ज़्यादा नहीं है कि यह कहा जा सके कि धरती के नीचे से सारी ऊर्जा समाप्त हो गई है. हालांकि, एक शोध के अनुसार, बड़े भूकंप से कुछ साल या महीने पहले धीमे भूकंपों की आवृत्ति बढ़ जाती है. उत्तराखंड में भी लगातार ऐसा हो रहा है. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड में बीते छह महीनों में 1.8 से लेकर 3.6 तीव्रता के 22 भूकंप दर्ज किए गए. हालांकि इनसे जान-माल का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ये झटके किसी बड़ी आपदा की संभावित चेतावनी के तौर पर देखे जा रहे हैं.
साल 1191 में उत्तरकाशी में आया था सबसे बड़ा भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में वर्ष 1191 में आया था सबसे बड़ा भूकंप जिसकी तिव्रता 7.0 थी. वहीं 1999 में चमोली में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इसके बाद से अब तक राज्य में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिस वजह से वैज्ञानिक जल्द ही बड़े भूकंप की आशंका जता रहे हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर पहाड़ और मैदानी इलाकों में एक जैसी तीव्रता का भूकंप आता है तो इससे हिमालयी इलाकों में मैदानी इलाकों से कम नुकसान होगा. इस खतरे को भांपते हुए उत्तराखंड सरकार ने 169 जगहों पर विशेष सेंसर लगाए हैं. अगर 5.0 से ज़्यादा तीव्रता का भूकंप आता है, तो ये सेंसर 15 से 30 सेकंड पहले अलर्ट भेज सकते हैं. बता दें कि ‘भूदेव’ मोबाइल ऐप के ज़रिए लोग चेतावनी पा सकते हैं और अपनी जान बचा सकते हैं
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