पढ़िए हरदा ने क्यों कहा “घर-गांव का जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध”, इस मसले पर दे डाली ये प्रतिक्रिया

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देहरादून शहर के आर्केडिया चाय बागान की 790.7 हेक्टेयर जमीन में प्रदेश सरकार ट्विन सिटी बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने काम भी तेज कर लिया है। जिस पर अब हरदा ने सवाल उठाते हुए पर्यावरणविदों को कठघरे में खड़ा किया है।


शहर पर लगातार बढ़ रही आबादी के बोझ को कुछ हद तक कम करने के लिए राज्य सरकार नए शहर बसाने का काम कर रही है। जानकारी के मुताबिक इसे लेकर प्रथम चरण के सर्वेक्षण में काफी हद तक सकरात्मक नतीजे सामने आए हैं। लेकिन ट्विन सिटी बनने से पहले इस पर सियासत होनी शुरू हो गई है।

हरीश रावत सरकार में हुआ था विवाद
साल 2016 में हरीश रावत की सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए चाय बागान की जमीन का विकल्प दिया था। ग्रीन फील्ड सिटी के तौर पर यहां स्मार्ट सिटी विकसित करने की सरकार की योजना पर काफी विरोध किया गया था। पर्यावरणविदों से लेकर तमाम सामाजिक संगठनों ने इस पर अपना आक्रोश जाहिर किया था।

विरोध करने वालों का कहना था कि यहां पर नया शहर बसाने से हरियाली नष्ट हो जाएगी। हालांकि इन सबके बाद भी सरकार ने ग्रीन फील्ड का प्रस्ताव जमा करवाया। लेकिन केंद्र सरकार ने ग्रीन फील्ड में स्मार्ट सिटी के राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

हरदा ने पर्यावरणविदों पर साधा निशाना
हरदा ने इस मामले में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए पर्यावरणविदों को कठघरे में खड़ा किया है। हरदा ने कहा 2016 में जब उनकी सरकार के द्वारा स्मार्ट सिटी के तहत ग्रीन सिटी बनाये जाने की योजना चाय बागान की जमीन पर की थी। उस समय पर्यावरणविद दनादन गोले दाग दाग कर मारने का काम कर रहे थे। लेकिन आज वह चुप हैं। यही वास्तव में भाजपा का चमत्कार है।

लीगल पहलू को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा निर्णय: सचिव
ट्विन सिटी पर जानकारी देते हुए नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि देहरादून शहर में तेजी से आबादी बढ़ रही है। इसलिए नए शहर बसाए जाने की योजना है। देहरादून शहर अनप्लान के तहत बस रहा है। इसलिए प्लान तरीके से नए शहर बसाने की योजना है। जिसके लिए जमीन की आवश्यकता है। पूर्व में भी चाय बागान की जमीन पर नया शहर बसाने की प्रक्रिया चली थी। इसके लीगल पहलू को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लिया जाएगा