ये कैसा विकास ! सड़क के अभाव में हो गई मौत, छह दिन बाद बाहर आई खबर, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग
सीमांत जिले पिथौरागढ़ से हैरान कर देने वाले खबर सामने आई है। यहां दारमा गांव में सड़क ना होने के कारण एक महिला की मौत हो गई और इस खबर को बाहर आते-आते पांच दिन लग गए। महिला की मौत के पांच दिन ये खबर मिल पाई है। इस घटना के बाद से लोगों में आक्रोश है। इस से भी ज्यादा हैरान आपको ये बात कर देगी कि दारमा गांव को आम गांव नहीं है बल्कि वीर चक्र विजेता और स्वतंत्रता सेनानियों का गांव हैं। लेकिन आज तक यहां सड़क नहीं पहुंच पाई है।
सड़क के अभाव में तोड़ दिया दम
पिथौरागढ़ के बंगापानी गांव सड़क ना होने के कारण एक और बीमार को अपनी जान गंवानी पड़ी। मिली जानकारी के मुताबिक 10 जनवरी की शाम को दारमा गांव की लछिमा देवी (58) दिल का दौरा पड़ने से घर में बेहोश हो गईं। रात का समय होने के ग्रामीण उन्हें अस्पताल नहीं ले गए क्योंकि गांव से सड़क काफी दूर थी। ग्रामीणों ने सुबह होने का इंतजार किया।
11 जनवरी को सुबह होते ही परिजन महिला को डोली के सहारे आठ किमी बदहाल पैदल रास्ते से ले जाकर सड़क तक लाए। जिसके बाद उन्हें 100 किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां से लक्षिमा देवी को हायर सेंटर बरेली रेफर कर दिया गया। बरेली को ले जाते हुए उन्होंने चल्थी (टनकपुर) में ही दम तोड़ दिया।
विकास के दावे हवा-हवाई, 23 साल बाद भी सड़क नहीं आई
प्रदेश में सरकारें आती-रहीं जाती रहीं लेकिन पहाड़ में कुछ भी नहीं बदला है। सालों पहले वो जहां पर खडे़ थे आज भी वहीं हैं। सड़क ना होने के कारण अक्सर लोगों की मौत हो जाती है तो कहीं बिजली ना होने की परेशानी सताती है। राज्य आंदोलनकारियों ने जिन सपनों को लेकर अलग राज्य की मांग की पहाड़ का विकास उनमें प्रमुख था। लेकिन आजादी के 75 सालों बाद भी पहाड़ विकास का इंतजार कर रहा है।
राज्य आंदोलनकारियों के राज्य गठन के 23 साल बाद भी साकार नहीं हो पाए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण के रूप में सीमांत जिला पिथौरागढ़ को देख लीजिए। इन 23 सालों में करोड़ों रुपए विकास के नाम पर खर्च तो हो गए लेकिन आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।
पिथौरागढ़ के 40 से अधिक गांव आज भी सड़क से वंचित
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अकेले पिथौरागढ़ जिले के ही 40 से ज्यादा गांव आज भी सड़क से वंचित हैं। इन गांवों में सड़क ही नहीं है तो अन्य सुविधाओं को लोग क्या करेंगे क्योंकि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सड़क मार्ग का होना बेहद ही जरूरी है। इन गांवो के बुरे हाल का अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि साल 2023 में बंगापानी तहसील के आलम दारमा गांव के आलम तोक में बारिश के बाद भूस्खलन होने से पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था। जिस कारण इलाके में खाद्यान्न संकट गहरा गया था। लोगों के पास खाने का सामान तक नहीं था।
400 घरों में आज भी नहीं है बिजली
पिथौरागढ़ जिल में कुल 225 गांव हैं जिसमें से 40 से ज्यादा तक आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। इस से भी हैरानी की बात ये है कि जिले में 400 परिवार अब भी ऐसे हैं जो बिजली के आने का इंतजार कर रहे हैं। सीमांत के हजारों लोगों को अभी भी बिजली का इंतजार है। न्यूज 18 के एक आर्टिकल के मुताबिक पिथौरागढ़ जिले में 59 गांव की आबादी गांव छोड़कर जा चुकी है।
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