केदारनाथ में पिछले चार चुनावों की तुलना में सबसे कम हुआ मतदान, किसको होगा नुकसान ?, पढ़ें खास रिपोर्ट
केदारनाथ में पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। इस बार केदारनाथ उपचुनाव में 57.64 प्रतिशत मतदान हुआ है। जो कि बीते चार विधानसभा चुनावों में सबसे कम है। मतदान कम होने से भारतीय जनता पार्टी या फिर कांग्रेस किस पार्टी को नुकसान होगा। पढ़ें इस खास रिपोर्ट में।
केदारनाथ में पिछले चार चुनावों की तुलना में सबसे कम हुआ मतदान
केदारनाथ विधानसभा सीट पर इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। इस बार मतदान प्रतिशत 57.64 प्रतिशत है। जिस से कम मतदान प्रतिशत इस सीट पर सिर्फ साल 2002 में 54.09 प्रतिशत रहा था। बात करें साल 2007 के चुनाव की तो तब 63.04 प्रतिशत मतदान हुआ था।
जबकि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 63.04 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं साल 2017 के विधानसभा चुनाव में केदारनाथ में 64.94 प्रतिशत मत पड़े। बात करें साल 2022 के विधानसभा चुनावों की की 2022 में इस सीट पर मतदान प्रतिशत 65.03 रहा था।
कांग्रेस और बीजेपी किसको होगा नुकसान ?
इस बार मतदान प्रतिशत कम रहने से एक सवाल है जो सभी के मन में उठ रहा है कि इस से कांग्रेस या फिर बीजेपी किसे सबसे ज्यादा नुकसान होगा और किसे इसका फायदा होगा। बात करें भाजपा की तो भाजपा का कोर वोटर ज्यादातर शहरी या फिर कस्बाई इलाकों वाला माना जाता है। ऐसा देखा गया है कि ये वोटर दोपहर बाद ही ज्यादातर वोट देने के लिए घर से निकलता है। ऐसे में केदारनाथ में कम वोटिंग होना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। क्योंकि केदारनाथ में दोपहर तक ही ज्यादा वोट पड़े हैं। दोपहर बाद बस कुछ ही प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
आंकड़ों से समझें तो सुबह के पहले घंटे में केदारनाथ में बेहद ही कम वोट पड़े जिसका कारण ठंड मानी जा सकती है। ठंड में कम ही लोग घरों से बाहर निकले। लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा वैसे-वैसे वोट प्रतिशत भी बढ़ता गया। केदारनाथ में नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ था। लेकिन 11 बजे तक 17.69 प्रतिशत मत पड़े थे। इसके बाद दोपहर होते-होते मतदान प्रतिशत बढ़ा और दोपहर 34.40 प्रतिशत मतदान हुआ। दोपहर तीन बजे तक 47.00 प्रतिशत मत पड़े थे। हालांकि इसके बाद मतदान प्रतिशत में ज्यादा तेजी देखने को नहीं मिली और शाम पांच बजे तक 56.78% ही मतदान हुआ जो कि शाम छह बजे तक 57.64 ही रहा।
कांग्रेस को मिल सकता है कम मतदान का फायदा
मतदान कम होने का फायदा कहीं ना कहीं कांग्रेस को मिल सकता है। क्योंकि बीजेपी का कोर वोटर माने जाने वाले शहरी और कस्बाई इलाकों के वोटर ने अगर ज्यादा वोट नहीं किया है तो इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। इसके साथ ही इस सीट पर महिलाओं के हाथ में जीत की चाबी है क्योंकि पुरूषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है। अब देखना ये होगा कि महिलाएं किसके सिल जीत का ताज सजाती हैं।
इनमें भाजपा की आशा नौटियाल, कांग्रेस के मनोज रावत, उक्रांद के आशुतोष भंडारी, पीपीआई (डेमोक्रेटिक) के प्रदीप रोशन रूडिया और निर्दलीय त्रिभुवन चौहान व कैप्टेन आरपी सिंह शामिल हैं
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