#uttrakhand ऐसा मंदिर जहां मरा हुआ इंसान हो जाता है जिंदा, उत्तराखंड में स्थित है ये रहस्मयी मंदिर

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देवभूमि उत्तराखंड में यूं तो कई मंदिर हैं लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां मरा हुआ इंसान जिंदा हो जाता है। उत्तराखंड का लाखामंडल ऐसा रहस्मयी मंदिर है जहां मरा हुआ व्यक्ति भी जिंदा हो जाता है।

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ऐसा मंदिर जहां मरा हुआ इंसान हो जाता है जिंदा
दुनिया में एक ऐसी जगह मौजूद है जहां मरा हुआ व्यक्ति भी जिंदा हो जाता है। जी हां ये बिल्कुल सच है, उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जहां जाकर मरा हुआ इंसान वापस से जिंदा हो जाता है। उत्तराखंड में देहरादून से लगभग 128 किलोमीटर की दूरी पर है बर्नीगाड़ नाम की जगह पर प्रसिद्घ शिव मंदिर लाखामंडल बसा हुआ है।


क्या है लाखामंडल के शिवलिंगों की कहानी ?
लाखामंडल का शाब्दिक अर्थ कई शिवलिंग या कई मंदिर है। इस मंदिर में कई शिवलिंग स्थापित हैं जो कि लाल, हरे, काले और सफेद रंग के हैं। यहां स्थापित हर शिवलिंग अलग-अलग युग का बताया जाता है। जैसे सतयुग का सफेद शिवलिंग, त्रेता युग का लाल शिवलिंग और द्वापर युग का हरा शिवलिंग। लाखामंडल में एक ऐसा विचित्र शिवलिंग भी मौजूद है जिसमें पानी डालते ही वो आपको आपका प्रतिबिंब साफ-साफ दिखाता है। मानो आपको आपकी सच्चाई से रुबरु करवा रहा हो। ये अद्भुत शिवलिंग यहां साल 1963 में मिला था।


बेहद ही खास है लाखामंडल का इतिहास
लाखामंडल का शिल्प इतना मनमोहक है कि इतिहासकार और शोधकर्ता खुद को यहां आने से रोक नहीं पाते हैं। इतिहासकार लाखामंडल को पांचवी सदी का मानते हैं और बताते हैं की रोहिल्लों ने जब उत्तराखंड पे आक्रमण किया तो यहां की सुन्दर-सुन्दर मूर्तियों को यहां कि कला को काफी नुकसान पहुंचाया।


लेकिन वो यहां की पौराणिकता यहां की प्राकृतिक सुन्दरता को नष्ट नहीं कर पाए। कहा जाता है कि यहां 33 कोटि देवी-देवता आज भी विराजमान हैं। इतिहासकार बताते हैं कि लाखामंडल शायद कभी किसी लैंडस्लाइड का शिकार हुआ होगा।

जिसके चलते ये पहाड़ के नीचे दब गया। तभी से जब-जब लाखामंडल की धरती को खोदा गया है तो इस धरती के गर्भ से हमेशा शिवलिंग और मंदिरों के अवशेष मिलते आ रहे हैं जिसकी देखरेख ए.ऐस.आई कर रहा है।


साल 2016 में आई टाईमस ओफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ए.एस.आई का कहना है कि खुदाई के लिए उनके पास फंड नहीं है। लेकिन अगर इतनी ऐतिहासिक जगह की खुदाई नहीं कि गई तो क्या ये जगह बाकी ऐतिहासिक विरासतों की तरह गुमनामी के अंधेरे में खो नहीं जाएगी आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ।

लाखामंडल में ही है दुर्योधन द्वारा बनाया गया लाक्षागृह
कहा जाता है लाखामंडल में वही लाक्षागृह है जो पांडवों को मारने के लिए दुर्योधन ने बनवाया था। लेकिन पांडव इस लाख के महल से एक गुफा के जरिए बच निकलने में कामयाब हो गए थे। आज भी वो गुफा लाखामंडल में मौजूद है जिसे चित्रेश्वर कहा जाता है। ये गुफा लाखामंडल से दो किमी की दूरी पर खुलती है।


लाखामंडल में एक बड़ा सा शिवलिंग है। कहा जाता है जब पांडव यहां आए तो उन्होंने यहां हवन किया और पांच शिवलिंग स्थापित किए। जिनमें से बड़ा शिवलिंग धर्मराज युधिष्ठिर का है और इस शिवलिंग को युधिष्ठिर लिंग के नाम से जाना जाता है। बाकी चार छोटे शिवलिंग भीमसेन, अर्जुन, नकुल और सहदेव के माने जाते हैं।

यहां जिंदा हो जाते हैं मरे हुए लोग
लाखामंडल में मंदिर के पीछे की तरफ दो द्वारपालों की मूर्तियां हैं जिनका नाम नंदी तथा बृंगी है। इनमें से एक मूर्ति का हाथ कटा हुआ है पर ऐसा क्यों है ये शोध का विषय है।

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माना जाता है की अगर इन दो द्वारपालों के सामने किसी मृत व्यक्ति को रख कर उस पर अभिमंत्रित पवित्र जल छिड़का जाता है तो वो मुर्दा शरीर कुछ देर के लिए जिंदा हो जाता है और दूध-भात खाकर वापस शरीर त्याग देता है। लेकिन अब ये प्रथा समाप्त हो गई है।