फायर ब्रांड नुपूर की सुरक्षा को लेकर धामी को शाह की यह सलाह, लिखा खत
नूपुर शर्मा द्वारा पैगम्बर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व भाजपा को हिन्दू राष्ट्र की लक्ष्य प्राप्ति का प्रतीक बताया है। उत्तरखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे गए एक पत्र में शाह ने उत्तराखंड में धामी द्वारा कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए देहरादून में रह रहे नूपुर शर्मा के परिवार को जेड सुरक्षा प्रदान करने की बात कही है।
चिट्ठी में नूपुर शर्मा को हिन्दू राष्ट्र की लक्ष्य प्राप्ति का प्रतीक बताया
आपको बता दें कि पैगम्बर मोहम्मद पर बयान देने के बाद नूपुर शर्मा और उनके परिवार को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है। पैगम्बर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद खाड़ी देशों तक इसका विरोध दर्ज होने के चलते भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निष्काषित कर दिया था। अमित शाह ने अपनी इस चिट्ठी में नूपुर शर्मा को हिन्दू राष्ट्र की लक्ष्य प्राप्ति का प्रतीक बताया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के नाम अपने पत्र में लिखा है कि-“राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के आपके प्रयासों की प्रशंसा करता हूं और श्री अजय गुप्ता को जेड सुरक्षा प्रदान करने का आपका निर्णय भी बेहद प्रशंसनीय है। वर्तमान परिदृश्य में मैं आपको देहरादून में श्रीमती नूपुर शर्मा के परिवार के लिए पैदा हो रहे खतरों और धमकियों को संज्ञान में लेते हुए आलोचनात्मक मूल्यांकन करने और तत्काल आधार पर जेड सुरक्षा प्रदान करने की सलाह देता
शाह ने आगे लिखा है कि ”मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इस कार्य को बेहतर तरीके से और कुशलता से निभाएंगे। श्री अजय गुप्ता और श्रीमती नुपुर शर्मा दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को बढ़ावा देने के प्रतीक हैं जो कि अंततः हमें हिंदू राष्ट्र लक्ष्य को पूरा करने के लिए सदैव प्रेरित करेगा। मुझे आशा है आप इस कार्य की संवेदनशीलता को समझते हुए इस ओर अपना प्रमुख समय देंगे। आपको मेरी शुभकामनाएं।”
ऐसे समय में जब स्वयं केंद्र सरकार ने नूपुर शर्मा के बयानों से किनारा कर लिया है और पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है, गृह मंत्री शाह का नूपुर शर्मा के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय और उन्हें आइकॉन बताना एक अलग तरह के बहस को जन्म देगा। शाह ने ना केवल नूपुर के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की बात कही है बल्कि उत्तरखंड में धामी की सुरक्षा-व्यवस्था को भी सराहा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि नूपुर शर्मा के बयान के बाद उपजे विवाद ने पुरे देश को आगोश में ले लिया है। बीते दो शुक्रवार को कानपुर के अलावा उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जहाँ कानून व्यवस्था पुरी तरह से चरमरा गयी। वहीँ उत्तराखंड में ऐसी किसी भी अप्रिय स्थिति का सामना लोगों को नहीं करना पड़ा। उत्तराखंड पूरी तरह से शांत रहा। ऐसे में शाह का धामी को पत्र लिख कर सराहना करना भाजपा के ही कई ताकतवर मुख्यमंत्रियों को रास नहीं आएगा।
‘नूपुर शर्मा की टिप्पणियां सरकार के रुख को नहीं दर्शाती हैं’
आपको बता दें कि मई के अंत में एक टीवी डिबेट में की गई नुपुर शर्मा की टिप्पणी ने खासा विवाद खड़ा कर दिया। उनके बयान पर नाराजगी जताते हुए अरब देशों ने भारतीय राजदूतों को तालाब कर दिया था। नूपुर शर्मा के बयान के बाद तक़रीबन एक दर्जन से अधिक इस्लामी देशों ने भारत सरकार से अपनी नाराजगी प्रकट की थी। कुछ मुस्लिम देशों में तो भारतीय सामानों के बहिष्कार तक का मामला सामने आया था।
नूपुर शर्मा के बयान के बाद उपजे विवाद के कारण भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रवक्ता को पार्टी से निलंबित कर दिया था। यही नहीं पार्टी ने अपने दिल्ली मीडिया इकाई के प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को भी एक ट्वीट में उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी का स्क्रीनशॉट साझा करने के लिए निष्कासित कर दिया गया था। नाराज इस्लामी राष्ट्रों को शांत करने के प्रयास में, भारतीय राजनयिकों ने कहा था कि नूपुर शर्मा की टिप्पणियां सरकार के रुख को नहीं दर्शाती हैं।
नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मुहम्मद पर टिप्पणी की थी
अपनी बर्खास्तगी के बाद एक बयान में, सुश्री शर्मा ने लिखा कि वह “बिना शर्त” अपनी टिप्पणी वापस ले रही थीं, लेकिन उन्होंने यह दावा करके अपनी टिप्पणियों को सही ठहराने का प्रयास किया कि वे “हिंदू भगवान शिव के प्रति निरंतर अपमान और अनादर” के जवाब में थीं। नूपुर शर्मा ने ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद पर बहस के दौरान पैगम्बर मुहम्मद पर टिप्पणी की थी।
नूपुर शर्मा ने 2008 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, जब उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार के रूप में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उनके राजनीतिक करियर ने 2011 में गति पकड़ी जब वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून में स्नातकोत्तर करने के बाद भारत लौटीं।
तेज और मुखर, बहस करने और अंग्रेजी और हिंदी दोनों में अपनी बात रखने की उनकी क्षमता ने उन्हें 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की मीडिया समिति में स्थान दिलाया। दो साल बाद जब नए सिरे से चुनाव हुए, तो वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा की उम्मीदवार थीं। 2020 में वह भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाई गयीं।
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