उत्तराखंड-फरवरी में जहां होती थी बर्फ वहां धधक रहे जंगल
उत्तराखंड में इस बार फरवरी में ही पारा चढ़ने लगा है। फरवरी के महीने में जहां पहाड़ों पर बर्फ हुआ करती थी वहीं इस बार गर्मी का एहसास होने लगा है। चढ़ते पाटे ने सभी को हैरान कर दिया है। जहां एक ओर गर्मी बढ़ने से मौसम विभाग ने हिमस्खलन की चेतावनी दे दी है तो वहीं दूसरी ओर जंगलों में आग ने वन संपदा और वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।
उत्तराखंड में मौसम करवट बदल रहा है। इस बार फरवरी के महीने में ही गर्मी का एहसास होने लगा है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में पाटा ओट चढ़ने की संभावना जताई है। इसके साथ ही मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अगले एक दो दिन में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मी बढ़ सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक मैदानी जिलों में अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है। जबकि पर्वतीय जिलों में तापमान 29 डिग्री के आसपास रहेगा।
उत्तराखंड में चढ़ते पारे ने आफत बढ़ा दी है। प्रदेश के जिन इलाकों में फरवरी में बर्फ होती थी उन इलाकों में आग धधक रही है। वागेश्वर में लीती वन पंचायत के जंगल दो दिन से जल रहे हैं। जबकि फूलों की घाटी में गोविंद घाट के जंगल धधक रहे है। हैटानी की बात ये है कि इन स्थानों पर आमतौर पर फरवरी के महीने में बर्फ हुआ करती थी।
लेकिन इटा चार वर्फ ना हो कर इन जगहों पर आग धधक रही है। इसके अलावा अल्मोड़ा के जंगलों में भी आग लगनी शुरू हो गई है। फायर सीजन शुरू होने से पहले ही इस बार प्रदेश के जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई थी।
बागेश्वर, अल्मोड़ा और फूलों की घाटी में गोविंद घाट के जंगलों में लगी आग
फरवरी के महीने में ही प्रदेश में तीन जिलों में जंगलों में आग लग चुकी है। बागेश्वर के कपकोट विकासखंड के दूरस्थ इलाके लीती के वन पंचायत का जंगल दो दिन से धधक रहा है। वन कमी और गांव के लोग आग को बुझाने में जुटी हुए हैं। यह इलाका पिथौरागढ़ जिले की सीमा से सटा है।
फूलों की घाटी में गोविंदघाट के जंगलों में भी रविवार को आग धधक उठी। जिस पर काबू पा लिया गया है। इसके साथ ही बीते दिनों अल्मोड़ा के जंगलों में भी आग लगने की घटना सामने आयी थी। अल्मोड़ा में जंगल की आग स्कूल परिसर तक पहुंच गई थी।
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