haldwani-केंद्र ने बनभूलपुरा को खाली करने के लिए बताई यह वजह,
बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। जिसके बाद अतिक्रमण करने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दरअसल उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। जिसमें अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि देश भर में वंदे भारत जैसी स्पेशल ट्रेन चलानी है। जिसके तहत अवैध कब्जे हटाना बेहद आवश्यक हो गया है। केंद्र सरकार ने कहा रेलवे स्टेशनों के विस्तार के लिए रेलवे के आस-पास हुए अतिक्रमण को हटाना बेहद जरूरी है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देशभर में उसे वंदे भारत जैसी स्पेशल ट्रेन और कम समय में लंबी दूरी की ट्रेन शुरू करनी है। जिसके तहत यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशनों का विस्तार करना है, उन्हें आधुनिक बनाना है। ऐसे में रेलवे स्टेशनों के आस-पास रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाना बहुत ही अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट में रेल मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हल्द्वानी स्टेशन ही एक विकल्प है जिसका विस्तार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि देशभर में बड़े पैमाने पर रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा है। उत्तर प्रदेश और बिहार में 25 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर अवैध कब्जा है। जबकि उत्तराखंड में 4365 हेक्टेयर भूमि पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। ऐसे में रेलवे अपनी भूमि का उपयोग नहीं कर पा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट से रेल मंत्रालय अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक हटाने की मांग लगातार कर रहा है। क्योंकि 5 जनवरी को दिए गए अंतरिम आदेश के चलते हल्द्वानी स्टेशन के विस्तार संबंधी योजना पिछड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट में रेल मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा रेलवे के आधुनिकीकरण के मद्देनजर सरकार देश के हरे एक राज्य में वंदे भारत जैसी स्पेशल ट्रेन और लंबी दूरी की ट्रेन चलाना चाहती है।
जिसके लिए रेलवे स्टेशनों के विस्तार और आधुनिकीकरण का प्लान भी तैयार है। लेकिन अवैध कब्जों के चलते सबकुछ रुक गया है।
दरअसल अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 29 एक्ट भूमि से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही इसे मानवीय मुद्दा करार दिया था। तब सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता है। रेलवे के मुताबिक उसकी जमीन पर 4365 परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा है। जबकि दूसरे पक्ष का दावा है कि वे जमीन के असली मालिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने विवादित क्षेत्र की तस्वीरें और अखबार की खबरों को भी दस्तावेज के तौर पर दाखिल किया है। हलफनामे में रेल मंत्रालय ने इसका जिक्र भी किया है। मंत्रालय इस मामले में पहले ही हलफनामा दाखिल कर साफ कर चुका है कि अतिक्रमण के बदले पुनर्वास या मुआवजा मुहैया कराने की कोई नीति या प्रावधान नहीं है।
बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गोला नदी में अवैध खनन के मद्देनजर जुलाई, 2008 में सुनवाई शुरू की थी। रेलवे का पक्ष जानने और उचित मानने के बाद ही नैनीताल हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा रखी है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी में सुनवाई कर सकता है।
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