शहर की जहरीली हवा छीन रही नवजातों की सांसे, हर पांच मिनट में एक की मौत, पढ़े ये चौकानी वाली रिसर्च
दिन पर दिन बढ़ते वायु प्रदूषण से आजकल हर कोई परेशान है। ये ना सिर्फ हमें बल्कि हमारे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रहा है। इतना गहरा की इससे जन्मे और अजन्मे बच्चों की असमय मृत्यु भी हो सकती है। आज इस आर्टिकल में हम वायु प्रदूषण के आपके बच्चों पर पड़ने वाले असर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं।
हवा छीन रही नवजातों की सांसे, रिसर्च में हुआ खुलासा
दरअसल डाउन टू अर्थ वेबसाइट ने साल 2018 से अक्तूबर 2023 के बीच प्रकाशित 25 अध्ययनों की समीक्षा जिन शोधों में वायु प्रदूषण के चलते बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडराते खतरे के बारे में पता चला। चलिए एक-एक करके इन रिसर्च के बारे में जानते हैं।
- सबसे पहले बात करते हैं स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की। इसके मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण के चलते 2020 में 116,000 से ज्यादा नवजातों की मौत उनके पैदा होने के पहले 27 दिनों में हो गई थी। इसका मतलब है कि भारत की हवा में घुला जहर हर पांच मिनट में एक नवजात की जान ले रहा हैं।
- अप्रैल 2022 में में किए एक अध्ययन के मुताबिक अगर गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों के दौरान कोई महिला हानिकारक पीएम 2.5 के संपर्क में आती हैं, तो इससे उसके बच्चे के वजन पर इफेक्ट पड़ता है। जिससे बच्चे की मौत का खतरा बढ़ जाता है।
- जर्नल प्लोस मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में ये बताया गया की वायु प्रदूषण के चलते हर साल दुनिया भर में करीब 59 लाख नवजातों का जन्म समय से पहले हो जाता है। इतना ही नहीं इसके चलते करीब 28 लाख शिशुओं का वजन जन्म के समय सामान्य से कम था।
- जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल इकोनॉमिक्स एंड मैनेजमेंट में प्रकाशित एक अध्ययन की मानें तो वायु प्रदूषण बच्चों के विकास पर भी काफी नेगेटिव इंपेक्ट डालता है, साथ ही उनके ग्रोथ को भी अवरुद्ध कर देता है।
- एक रिसर्च के मुताबिक भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से हर साल दो लाख से ज्यादा अजन्मे बच्चें गर्भ में ही मारे जाते हैं। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर बढ़ता प्रदूषण दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। आज दुनिया की 99 फीसदी से ज्यादा आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है जो उन्हें हर दिन मौत की ओर ले जा रही है।
- 31 अक्टूबर, 2023 को जर्नल नेचर में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ जिसमें सामने आया कि पीएम 2.5 के संपर्क में हर दस माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की बढोतरी से भारत में पांच साल से कम आयु के बच्चों में एनीमिया के मामले में दस फीसदी तक इजाफा हो सकता है। इसी तरह पीएम 2.5 की इस बढ़ोतरी के साथ सांस सम्बन्धी संक्रमण में 11 फीसदी और कम वजन वाले जन्मों की दर में पांच फीसदी की बढोतरी हो सकती है।
- मई 2022 में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि यदि प्रदूषण के स्तर को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों तक कम कर दिया जाए, तो भारत में स्टंटिंग से जूझ रहे बच्चों की संख्या में 10.4 फीसदी की गिरावट कमी आ सकती है स्टंटिंग का मतलब है जब किसी बच्चे की लंबाई उसकी उम्र के हिसाब से कम होती है।
- देखा जाए तो भारत में वायु गुणवत्ता संबंधी कानून तो हैं, लेकिन वो साफ हवा की गारंटी नहीं देते। भारत में साफ हवा को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत एक संवैधानिक अधिकार बनाया गया है। हालांकि इसके बावजूद देश में कितने लोग साफ हवा में सांस ले रहे हैं, यह एक सोचने वाली बात है
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