अंकिता हत्याकांड में नया खुलासा, क्या आरोपियों को बचा रही थी रेगुलर पुलिस?
अंकिता हत्याकांड में नया मोड़ सामने आया है। जिसमें अहम गवाह की गवाही से मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस खुलासे से पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
अंकिता हत्याकांड में नया मोड़ आया सामने
अंकिता हत्याकांड को आठ महीने बीतने के बाद एक बार फिर मामले में नया खुलासा हुआ है। इस मामले में अब नया मोड़ आया है। जहां एक ओर अंकिता के परिजन अभी भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं तो वहीं अब मामले में अहम गवाह ने बड़ा खुलासा किया है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड का अहम गवाह खुशराज हत्या के अगले ही दिन रेगुलर पुलिस के थाना लक्ष्मणझूला पहुंच गया था। खुशराज के साथ आरोपी सौरभ भास्कर और रिजॉर्ट के तीन कर्मचारी भी मौजूद थे। जिन्हें यहां चार दिनों तक रखा गया था। खुशराज ने ये बात कोर्ट में बचाव पक्ष को बताई है। जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं।
पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
इस हत्याकांड के अहम गवाह के बयान के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो पुलिस की कार्रवाई को लेकर खड़ा हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब इस मामले की जांच रेगुलर पुलिस ने चार दिन बाद संभाली थी तो गवाह और आरोपी थाने में क्या कर रहे थे?
सवाल ये भी उठता है कि जब मामले की जांच राजस्व पुलिस कर रही थी तो फिर आरोपी और गवाह को रेगुलर पुलिस ने अपने पास क्यों बुलाया? इस मामले में एसआईटी ने विस्तृत जांच कर कुल 97 गवाह बनाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से एक था वनंत्रा रिजॉर्ट का 17 वर्षीय हाउस कीपिंग स्टाफ खुशराज। इसी गवाह के बयान के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
अपने बयान में गवाह ने कही ये बात
वनंत्रा रिजॉर्ट का 17 वर्षीय हाउस कीपिंग स्टाफ खुशराज वही गवाह था जिसने अंकिता को फोन पर चिल्लाते हुए सुना था। मजिस्ट्रेट के सामने भी उसने अपने बयानों में यही बात कही थी। अब कोर्ट में ट्रायल के दौरान गवाही हुई तो खुशराज की बातों से तमाम सवाल उठने लगे हैं।
कोर्ट में ट्रायल के दौरान खुशराज ने कहा कि 18 सितंबर की शाम वह सामान लेकर एक मेहमान के कमरे में जा रहा था। तभी रास्ते में उसने अंकिता के रूम को देखा तो वहां पुलकित आर्य भी था। अंकिता फोन पर जोर-जोर से चिल्ला रही थी कि उसे वहां से बाहर निकालो।
चार दिनों तक रेगुलर पुलिस आरोपियों के साथ थाने में क्या कर रही थी?
इसके बाद खुशराज ने अंकिता के जाने और फिर तीनों आरोपियों के वापस लौटने के सारे घटनाक्रम को गवाही में दोहराया। कोर्ट में बचाव पक्ष की जिरह के दौरान उसने कहा कि वो 19 को ही लक्ष्मणझूला थाने गया था। वहां पर चार दिन आरोपी और अन्य कर्मचारियों के साथ रहा।
जाहिर सी बात है कि जब चार दिन थाने में रहे तो इनसे पूछताछ भी हुई होगी। लेकिन यहां फिर सवाल यही उठता है कि जांच मिलने के कुछ ही घंटों के बाद ही खुलासे का दावा करने वाली रेगुलर पुलिस चार दिनों तक इनके साथ क्या कर रही थी?
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