बदरीनाथ और केदरनाथ में पेटीएम के क्यूआर कोड पर खुलासा, सामने आई सच्चाई, फिर भी उठ रहे सवाल
बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में पेटीएम के क्यू आर कोड किसने लगाए इस बात को लेकर प्रदेश में काफी सवाल उठ रहे थे। हालांकि आब पेटीएम ने खुद ही सामने आकर सच्चाई बताई है।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया है कि पेटीएम द्वारा देश के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं/ तीर्थ यात्रियों को डिजिटल दान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस क्रम में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वर्ष 2017 में संपन्न बोर्ड बैठक में केदारनाथ धाम में यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पेटीएम के साथ अनुबंध करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव के क्रम में वर्ष 2018 में दोनों पक्षों के बीच अनुबंध हुआ। तब से निरंतर पेटीएम द्वारा श्री केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड के छोटे साइन बोर्ड लगाए जाते रहे हैं।
पेटीएम ने नहीं दी कोई जानकारी
पेटीएम की ओर से वर्तमान यात्रा काल में श्री केदारनाथ के अलावा श्री बदरीनाथ धाम में बड़े साइज के कई साइन बोर्ड लगाए गए। मगर पेटीएम की ओर से क्यूआर कोड के बोर्ड लगाने से पूर्व बीकेटीसी के सक्षम अधिकारियों को लिखित अथवा मौखिक किसी भी तरह से बोर्ड लगाने अथवा उनके साइज, स्थान आदि के बारे में कोई चर्चा/जानकारी नहीं दी गई। उन्होनें बताया कि प्रकरण के बीकेटीसी के अधिकारियों के संज्ञान में आने पर इन्हें तत्काल हटा दिया गया था। बीकेटीसी ने प्रकरण की अपने स्तर से भी जांच की और किसी प्रकार की धोखाधड़ी की आशंका के चलते पुलिस को लिखित में शिकायत सौंपी।
पेटीएम के अधिकारियों ने मांगी माफी
बीकेटीसी की आंतरिक जांच और पुलिस में शिकायत के पश्चात पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मंदिर प्रशासन से संपर्क किया गया। पेटीएम की ओर से हुई इस चूक पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कंपनी के अधिकारियों से कड़ी नाराजगी जताई और इसे गैर जिम्मेदाराना रवैया बताया। इस पर पेटीएम के अधिकारियों द्वारा बीकेटीसी प्रशासन से मौखिक रूप में अपनी गलती को स्वीकारते हुए पूरे घटनाक्रम को लेकर खेद व्यक्त किया गया है। बता दे कि मंदिर प्रशासन द्वारा अपनी जांच में पाया गया है कि पेटीएम के माध्यम से अनुबंध होने के पश्चात से अब तक मंदिर समिति को 67 लाख रुपए दान के रूप में प्राप्त हुए हैं।
मामला नहीं हुआ शांत उठे कई सवाल
दोनों धाम में लगे क्यूआर कोड से दान डिजिटल ही देने के मामले में जहां बद्री केदार मंदिर समिति ने स्थिति स्पष्ट कर दी है तो वहीं जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि जिन बैंक अकाउंट से क्यूआर कोड से यह स्कैनर लिंक थे वह देवस्थानम बोर्ड के अकाउंट के नाम पर है । साथ ही अकाउंट में जो पैन कार्ड यूज़ किया गया है वह भी देवस्थानम बोर्ड का है ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार जब देवस्थानम बोर्ड पहले ही भंग हो चुका है तो फिर कैसे समिति के बिना संज्ञान के देवस्थानम बोर्ड के अकाउंट और पैन कार्ड से लिंक इन स्कैनरों के माध्यम से दान डिजिटली माध्यम से खाते में करवाया जा रहा था।
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