Supreme Court on Electricity Bill: बढ़ने वाला है बिजली बिल, फैसला सुन आम आदमी को लगेगा करंट, जानें क्या है नया फरमान

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अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उपभोक्ताओं से धीरे-धीरे इस नुक्सान की भारपाई की जाएगी। दिल्ली में यह भुगतान बीते 17 वर्षों से लंबित है और इसकी कुल राशि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है। वहीं, तमिलनाडु में यह बकाया राशि 2024 तक 87,000 करोड़ रुपये है।

Supreme Court on Electricity Bill: देश की राजधानी दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही झटका लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बिजली वितरण कंपनियों के वर्षों पुराने बकाए के मामले में दरें बढ़ाने की सशर्त अनुमति दे दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि दरें बढ़ाई जा सकती हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी वाजिब और किफायती होनी चाहिए। 

कई राज्यों में बढ़ सकते हैं बिजली के बिल

कोर्ट ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) को निर्देश दिया है कि वह एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करे जिसमें बताया जाए कि दरें कब, कैसे और कितनी बढ़ेंगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देश के कई राज्यों में अब उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं।

आम उपभोक्ता पर बोझ

दरअसल, यह मामला बिजली वितरण कंपनियों द्वारा वर्षों से बकाया राशि के भुगतान से जुड़ा था। कोर्ट ने अगले 4 सालों के भीतर इन लंबित नियामकीय संपत्तियों को खत्म करने का निर्देश दिया है। यानी अब इन भुगतानों की प्रतिपूर्ति उपभोक्ताओं द्वारा ही की जाएगी, जिसका सीधा असर बिजली बिलों पर पड़ेगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लंबे वक्त तक टाले गए बकाया अंततः आम उपभोक्ता पर बोझ बन जाते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि नियामक आयोगों और एपीटीईएल ने समय रहते उचित निर्णय नहीं लिए, जिसकी वजह से यह समस्या वर्षों तक बनी रही।

अदालत के आदेश के बाद होगी कड़ी कार्रवाई

बिजली वितरण कंपनियों का तर्क है कि वे बिजली खरीदने और आपूर्ति करने में जितना खर्च करती हैं, उतना वसूल नहीं कर पातीं, जिससे उन्हें घाटा होता है। इस नुकसान को नियामकीय परिसंपत्तियाँ कहा जाता है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उपभोक्ताओं से धीरे-धीरे इस नुक्सान की भारपाई की जाएगी। दिल्ली में यह भुगतान बीते 17 वर्षों से लंबित है और इसकी कुल राशि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है। वहीं, तमिलनाडु में यह बकाया राशि 2024 तक 87,000 करोड़ रुपये है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आने वाले समय में आवासीय से लेकर औद्योगिक उपभोक्ताओं तक, सभी के लिए बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं।

आम लोगों की जेब पर पड़ेगा भारी असर 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक ओर जहाँ बिजली वितरण कंपनियों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर यह आम लोगों की जेब पर भी भारी असर डालने वाला फैसला साबित हो सकता है। अब देखना यह है कि डीईआरसी समेत अन्य राज्य आयोग इस रोडमैप को कैसे लागू करते हैं और उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई कीमतों के लिए कैसे तैयार किया जाता है

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