आज से हरेला पर्व का औपचारिक शुभारंभ, सीएम धामी पौधा लगाकर करेंगे शुरूआत

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हरेला पर्व उत्तराखंड का प्रमुख त्यौहार है। इसे कुमाऊं में बेहद ही उल्लास से मनाया जाता है। हरेला पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ त्यौहार है। आज रविवार से हरेला पर्व का प्रदेश में औपचारिक शुभारंभ हो गया है।


प्रदेश में आज से हरेला पर्व का औपचारिक शुभारंभ हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी रायपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निकट पौधा लगाकर पर्व की शुरूआत करेंगे। इस दौरान सीएम धामी के साथ प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल भी मौजूद रहेंगे।

कार्यक्रम के पहले दिन रोपे जाएंगे 500 पौधे
कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड वन विभाग की ओर से किया जाता है। कार्यक्रम के पहले दिन 500 पौधे रोपे जाएंगे। इस बार उत्तराखंड वन विभाग कैंपा योजना के तहत प्रदेश में करीब 15 हेक्टेयर वन भूमि पर 1.29 करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य रखा हुआ है। जिसमें सबसे अधिक फलदार पौधे लगाए जाएंगे।

विकसित किए जाएंगे हरेला वन
इस कार्यक्रम के तहत वन विभाग के प्रत्येक सेक्शन में तीन से पांच हेक्टेयर वन भूमि पर एक-एक हरेला वन विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही आजादी के 75 साल पूरे होने पर 15 सौ गांवों में 75-75 पौधे रोपे जाएंगे। जिसमें प्रत्येक में दो से ढाई हजार पौधे लगाए जाएंगे। बता दें कि ये अभियान 15 अगस्त तक चलेगा।

क्यों मनाया जाता है हरेला पर्व ?
हरेला पर्व मुख्य रूप से कुमाऊं मंडल में मनाया जाता है। हरेला पर्व साल में तीन बार पहला – चैत्र मास, दूसरा – सावन मास और तीसरा – आश्विन मास में मनाया जाता है। हरेला पर्व कर्क संक्रांति के दिन मनाया जाता है। सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद सावन के महीने के पहले दिन काटा जाता है।

पहाड़ों पर हरेले के पर्व से ही सावन महीने की शुरुआत मानी जाती है। इस पर्व पर मुख्यत शिव भगवान की पूजा की जाती है। हरेला का अर्थ है हरियाली इसलिए हरेले को प्रक़ति से जोड़ कर देखा जाता है। इसे शिव-पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। कुमाऊं में माना जाता है कि हरेला मनाने से घर मे सुख-समृद्धि और शांति आती है।