तो फिर गुरु भाई की सीट से सीएम धामी का लड़ना तय!
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
राज्य में धामी 2.0 सरकार के पदारूढ़ होने के के बाद अब सरकार ने 100 दिन की प्राथमिकताएं तय कर दी है सीएम पुष्कर सिंह धामी ने स्वच्छ सरकार देने के लिए अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं इसीलिए उन्होंने अधिकारियों के द्वारा आधी अधूरी तैयारियों के साथ बैठक में आने को लेकर अपना रुक स्पष्ट करते हुए कहा कि अब उनकी कोई मजबूरी नहीं है इसलिए पूरी तैयारी के साथ बैठक में आया जाए। मैं ना तो चैन से सो लूंगा ना किसी को सोने दूंगा कि अपने बयान पर टिके रहने का जज्बा दिखाने के लिए उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि वह अब अपनी कार्यशैली बदल ले।
दून अस्पताल की डॉक्टर निधि उनियाल के मामले में उन्होंने अधिकारियों द्वारा अपनी मनमानी चलाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तुरंत निधि उनियाल का ट्रांसफर रोक दिया अपनी कार्यशैली को दिखाते हुए उन्होंने प्रदेश में यह जता दिया कि उन्हें मोदी मोदी, साह, और नड्डा का पूरा समर्थन हासिल है इसीलिए वह किसी किस्म की नाफरमानी को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अब हम यहां बात करते हैं राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश सरकार का सबसे पहला काम पुष्कर सिंह धामी को चुनाव जीता कर लाना है इसके लिए उन्होंने होमवर्क करना शुरू कर दिया है हालांकि करीब आधा दर्जन विधायकों ने उनके लिए सीट छोड़ने के लिए हामी भरी है लेकिन इसके बावजूद वह -फूंक कर कदम रख रहे हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के आसानी से जीतने वाली सीटों पर मंथन चलने लगा है सितंबर से पहले उन्हें विधायक बनना है माना यह जा रहा है की महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के शिष्य रह चुके पुष्कर सिंह धामी के लिए उनके ही तरह भगत सिंह कोशियारी के साथ पी आर ओ की भूमिका निभा चुके सुरेश गढ़िया उनके लिए सीट छोड़ेंगे। इस सीट पर भगत सिंह कोश्यारी का सबसे ज्यादा प्रभाव माना जाता है उनकेद्वारा समर्थकों को दी गई एक राय ही धामी के जीत के लिए काफी होगी। इसीलिए इस सीट को फोकस किया जा रहा है तथा भाजपा प्रत्याशी को मिले वोटों और कांग्रेस के प्रत्याशी के मिले वोटों का आकलन किया जा रहा है।
सुरेश गढ़िया पहली बार विधायक बने हैं तथा उन्हें भी कोशियारी जी की कृपा से टिकट मिला है । इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाने में कहीं न कहीं महाराष्ट्र के माननीय महती भूमिका मानी गई है। साथ ही यह भी तय है कि उन्हें विधायक बनाने की जिम्मेदारी भी कहीं ना कहीं भगत सिंह कोश्यारी के ही कंधों पर होगी। अंदर खाने इस बात पर चर्चा चल रही है तथा बागेश्वर जिले की इस सीट पर भाजपा अधिकांश बार बिजी है वर्ष 2012 में कांग्रेश इस सीट को जीत पाई थी इसके अलावा इस सीट पर हमेशा भाजपा का ही प्रत्याशी बिजई रहा है । एक ही एक ही गुरु के दोनों शिष्यों में काफी अधिक पटती भी है। सुरेश गड़ियां को टिकट दिलाने में धानी की भी सहमति थी और उन्हें जीतने के लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किया था। इसके पीछे यह भी तर्क माना जा रहा है जिस तरह से खटीमा में भाजपा के कई लोगों की ढाणी को पराजित करने में अप्रत्यक्ष भूमिका रही है उसी को मध्य नजर रखते हुए भाजपा और कोशियारी किसी भी कीमत पर कोई कोताही नहीं बरतना चाहते हैं। इसी बात को लेकर गुरु भाई आपस में इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहिए ।
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