रेशम नई पहल महिला स्वयं सहायता समूह की राखियों ने तय किया हैदराबाद-बंगलुरू तक का सफर

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हलद्वानी skt. com

सिल्क ककून के माध्यम से कुमाऊँ ही नही बल्कि पूरे देश में अपने हस्त शिल्प के उत्पादों से तहलका मचाने वाली संस्था रेशम नई पहल महिला स्वयं सहायता समूह के हाथों के हुनर अब कुमाऊं ही नहीं बल्कि पूरे देश कोने कोने जाना जा रहा है।

इस संस्था के द्वारा इससे पूर्व विभिन्न तरह के पोर्ट्रेट बनाकर जहां ख्याति हासिल की वहीं अब इस समूह ने शुद्ध रेशम की राखियां बनाकर नया कीर्तिमान बनाया है । रेशम विभाग के तरह के कार्यक्रम से जहाँ रेशम उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है। वही इस संस्था से जुड़ी महिलाओं की आजीविका भी बेहतर बन रही है।

यह राखियां कुमाऊं ही नहीं बल्कि देश के दूरस्थ क्षेत्र पहुंच गई है स्वयं समूह सहायता की ओर से बताया गया कि उन्हें ऑर्डर पर हैदराबाद और बेंगलुरु समेत देश के कई हिस्सों से रेशम की राखियों के आर्डर प्राप्त हुए हैं इसके अलावा उन्होंने कुमाऊं में भी कई स्थान पर रखिए भेजी है जिसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा है और बड़ी संख्या में उन्हें आर्डर प्राप्त हो रहे हैं ।

रेशम की बनी राखियां जहां त्वचा के लिए नुकसानदेह नहीं होती है वही इनमें मजबूती भी दिखाई देती है तथा इइसे आसानी से रंग भी नहीं उतरता है

इन रखियो से स्वयं समूह सहायता की महिलाओं की आमदनी भी लगातार बढ़ रही है आम लोगों की पहुंच की कीमत की इन राखियों की बहुत ज्यादा मांग होने लगी है मात्र ₹20 से लेकर ₹70 तक की इन राखियों में रंग बिरंगी और अनेक डिजाइनों में यह रहा क्या उपलब्ध है

उपनिदेशक कुमाऊं हेमचंद्र ने बताया कि रेशम नई पहल स्वयं समूह सहायता के द्वारा हस्तशिल्प के माध्यम से रेशम से राखियां बनाई जा रही है तथा उनकी मांग के अनुसार डिलीवरी भी की जा रही है हल्द्वानी क्षेत्र में डिलीवरी की सेवा भी उपलब्ध है जबकि हल्द्वानी से बाहरी इलाकों तथा दूरस्थ क्षेत्रों में यह कोरियर और डाक के द्वारा भी भेजी जा रही है सबसे अच्छी बात यह है किलोगों की मांग पर रोली चंदन भी भेजा जा रहा है

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