केंद्र के बाद राज्य सरकार का रोलबैक देवस्थानम बोर्ड वापस
देहरादुन एसकेटी डॉट कॉम
केंद्र सरकार के बाद उत्तराखंड सरकार भी रोलबैक मॉडल बन गई । केंद्र सरकार के 5 जनों का अनुसरण करते हुए राज्य सरकार ने केंद्र के कृषि बिल वापस लेने के बाद अपने यहां भी चुनावी माहौल को भांपते हुए देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने का फैसला किया है। वर्ष 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लाए गए इस दिल को अब भाजपा के नौजवान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वापस ले लिया है इसकी बकायदा घोषणा की गई है। धामी ने प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ यात्रा के दौरान तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों के विरोध करने को लेकर उनसे बातचीत की तथा 30 अक्टूबर तक इसे वापस लेने की बात कही थी लेकिन इस बार अम्ल होते-होते 1 महीने का ज्यादा समय लग गया आज 29 नवंबर को धामी सरकार ने देश कानून मोड़ को वापस लेने का निर्णय लिया है
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का फैसला पलट दिया है. उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है. इस बोर्ड का लंबे समय से विरोध हो रहा था और तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे. माना जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी साधु-संतों की नाराजगी की वजह से ही चली गई थी.
देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. इस बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था. उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं. इन चारों धामों का नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था. तब से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे.
इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था. मुख्यमंत्री धामी ने 30 अक्टूबर तक फैसला लेना का वादा किया था, लेकिन इसमें एक महीने देरी हो गई है.
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