पेट्रो पदार्थों के रेट में कटौती – कही चुनावी हार का परिणाम तो नही!
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की दामों में की गई कटौती श्री जहां एक और किसानों और आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है वही यह अंदाजा भी लग रहा है कि सरकार बढ़ती महंगाई को लेकर सजग होने लगी है ।महंगाई की वजह से लोग इस बार सरकार से काफी खफा थे ।खाद्य तेल के अलावा पेट्रोल और डीजल का आंकड़ा एक सौ से पार होने के बाद निश्चित रूप से लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश पनप रहा है ।
इसी का नतीजा रहा कि चार पांच राज्यों में उपचुनाव के दौरान सत्ता में रहते हुए भी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। हिमाचल प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य मैं
उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया भाजपा जहां अपनी सीट इन लोक सभा हार गई वही 2 विधानसभाओं में भी उसे हार का सामना करना पड़ा वही हरियाणा में भी उसे सत्ताधारी होने के बावजूद इनेलो के हाथों हार पड़ी।
मध्यप्रदेश में जरूर भाजपा जीती लेकिन यहां भी कोई बहुत बड़ा करिश्मा नहीं हुआ। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा महंगाई को हार का जिम्मेदार बताने के बयान के बाद भाजपा आलाकमान के कान खड़े हो गए भाजपा के नीति निर्धारकों ने तुरंत पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती करवाई जबकि इससे पहले जनता उनकी महंगाई से त्रस्त हो चुकी थी अब जनता यह अंदाज लगा रही है की इन राज्यों मैं हुई चुनावी हार और आगामी फरवरी में 5 राज्यों जिनमें सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है होने वाले चुनाव के मध्य नजर महंगाई के मुद्दे को विपक्ष के हाथों से छीनने के लिए यह महंगाई बढ़ाने वाली तेल की कीमतों पर कुछ लगाम लगाई गई।
किसानों की ओर से यह विरोध लगातार किया जा रहा था कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से उनकी लागत नहीं निकल रही है और लोगों को भी ट्रांसपोर्ट के व्यय के कारण अधिक कीमत चुकानी पड़ रही थी। इस तरह से दिवाली के पहली रात्रि में पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की गई उससे निश्चित रूप से भाजपा की केंद्र सरकार बैकफुट पर आई है ।
यह पहली बार हुआ है जब हिमाचल जैसे राज्य में सियासी मात खाने के बाद भाजपा ने वहां जबरदस्त कटौती की है वहां डीजल के दामों में ₹17 और पेट्रोल के दामों में ₹12 की कटौती की है। यह यह कटौती सभी राज्यों में एक समान नहीं की गई है ।
उत्तराखंड में पेट्रोल के दामों में ₹12 और डीजल के दामों में साढ़े ₹6 कमी की है। वही एक रणनीति के तहत सरकार ने तेल कंपनियों को कोई घाटा नहीं होने दिया है ।
जानकारी के अनुसार दीपावली से कुछ समय पहले तेल डिपो से दबाव की राजनीति करके सभी पेट्रोल पंप मालिकों को तेल खरीद वाया गया जब डिपो से तेल पेट्रोल पंप के टैंकों पर पहुंच गया और पेट्रोल पंप मालिकों को कहा गया कि वह है पेट्रोल जरूर खरीदें यह अनिवार्य है तो 3 दिन तक भी एजेंसियों के टैंकर पेट्रोल पंपों पर खड़े रहे और इंतजार करते रहे कि पेट्रोल पंप के टैंक खाली हो तो टैंकर खाली कर दिए जाएं इसके बाद ही रात्रि को एकदम रेटगिराए गए जिससे प्रत्येक पंप मालिक को उसकी क्षमता के अनुसार 4 से आठ लाख तक तक का महंगा तेल खरीदना पड़ा और जैसे ही वह उनके टैंकों में पहुंचा इसके दाम घटा दिए हैं इससे पब्लिक को तो मिला सस्ता तेल लेकर पंप मालिकों की जेब से उसने पैसे एजेंसियों और सरकार के खाते में चले गए।
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