ऊर्जा प्रदेश में बिजली संकट, तैयारियां फेल, आदेश बेअसर

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देहरादून: उत्तराखंड कहने तो ऊर्जा प्रदेश है, लेकिन दूसरे राज्यों को बिजली देने वाले इस राज्य के पास खुद के लिए बिजली नहीं है। ऊर्जा प्रदेश को लेकर तमाम तरह के वादे और दावे किए जाते रहे, लेकिन सभी दावे हवाई साबित हुए। प्रदेश में आलम यह है कि रोज़ाना करोड़ों की बिजली खरीदने पर भी कई इलाकों की घंटों की कटौती से बुरा हाल है।


एक तो भीषण गर्मी और ऊपर से रोज़ाना घंटों की बिजली कटौती ने आम लोगों की जिंदगी को दुश्वारियों से भर दिया है। ऊर्जा प्रदेश के दावे करने वाले हुक्मरानों के तमाम दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर बिजली कटौती पर हल निकालने का अल्टीमेटम थमाया। लेकिन, हुबा कुछ नहीं।


बावजूद इसके प्रदेश में बिजली कटौती ना होने को लेकर कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। आलम ये है कि रोज़ाना 13 से 15 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी जा रही है बावजूद इसके कई इलाकों में घंटों की कटौती हो रही है। अधिकारी इस बात का हवाला दे रहे है कि बिजली खपत की मांग बढ़ने से बिजली कटौती की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है।


लेकिन, असल में बिजली कटौती के पीछे की वजह क्या है इसको ग्राफिक्स के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं। जिस हिसाब से बिजली खपत की मांग है और जितना बिजली की उपलब्धता है उससे तो ये ही जाहिर होता है कि फिलहाल आने वाले दिनों में लोगों को बिजली कटौती से राहत मिलने की उम्मीद कम ही है। ऐसे में सीएम धामी के कड़े निर्देश के बावजूद अधिकारी कटौती को रोकने का हल ढूंढने में नाकाम दिख रहे है। तो बिजली कटौती से जनता को राहत कैसे दिलाई जाए ये एक बड़ा सवाल है।