पहाड़ी मिठाई : सोन पापड़ी या रसगुल्ला नहीं, सालों पहले पहाड़ों में घर पर बनाई जाती थी ये मिठाईयां, दिवाली पर करें ट्राई
उत्तराखंड के पहाड़ अपनी सादगी के लिए जाना जाते हैं। पहाड़ों पर सालों पहले जब सड़कें नहीं थी लोग पैदल यात्रा करते थे तो जीवन बेहद ही कठिन था। तब त्यौहारों पर लोगों के पास इतने ऑप्शन नहीं होते थे जैसे आज हैं। तब लोग आटे, गुड़ और घी आदि घर पर मिलने वाली चीजों से ही पहाड़ी मिठाईयां तैयार करते थे। इन मिठाईयों स्वाद भी लाजवाब होता था। आज की भागदौड़ भरी जिदंगी में इन मिठाईयों को कम ही लोग बनाते हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी संस्कृति से जुड़ी इन चीजों को आज भी सहेज कर रखे हुए हैं। इस दिवाली आप भी इन मिठाईयों को ट्राई कर सकते हैं।
1. बाल मिठाई
उत्तराखंड में बाल मिठाई सदियों से बनाई और खाई जा रही है। बाल मिठाई को दूध से तैयार किया जाता है। दूध को पकाकर मावा तैयार किया जाता है। इसके बाद घी, मावा और चीनी डाल इसे पकाया जाता है और गाढ़ी होने तक इसे पकाया जाता है। ठंडा होने के बाद इसे प्लेट में डाल कर पर इसमें शक्कर की छोटी-छोटी गेंदों को लगाया जाता है और ऐसे बाल मिठाई तैयार होती है।
2. अरसे
अरसे या अरसा उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में बड़े चाव से खाया जाता है। ये गढ़वाल क्षेत्र का एक लोकप्रिय मीठा व्यंजन है। इसे घर पर ही बनाया जाता है। आज भी शादी-विवाह के समारोह में इन्हें बनाया जाता है। अरसे चावल के आटे, घी, गुड़, तिल और दूध से बनाई जाती है। आज कल अरसे दुकानों पर भी उपलब्ध हैं।
3. रोट
रोट कुमाऊं और गढ़वाल दोनों स्थानों पर बनाया जाता है। पहाड़ों पर शुभ कार्यों में रोट जरूर बनाए जाते हैं। आटा, मैदा, सूजी, गुड़ और ड्राई फ्रूट से इसका आटा तैयार किया जाता है। इसके बाद इन्हें तला जाता है। इसकी बाहरी परत बेहद ही कुरकुरी होती है। पहाड़ों पर मुख्यत इसे सर्दियों में खाया जाता है।
4. खजूर
खजूर उत्तराखंड के कुमाऊं में बनाए जाते हैं। ये गेहूं के आटे, सूजी, सौंफ और गुड़ से बनाए जाते हैं। इन सबको मिलाकर इसका आटा लगाया जाता है।
जिसके बाद इसे मोटी रोटी सी बेल लेते हैं और फिर तिकोना काट लेते हैं। थोड़ी देर छोड़ने के बाद इन्हें तल लेते हैं। आज भी कुमाऊं में इन्हें बनाया जाता है। खासकर जब बेटी अपने मायके आए तो यहीं बनाकर उसके ससुराल को भेजे जाते हैं
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