खुल गया राज -यहा भाजपा विधायक की पत्नी ने अपनी जगह रखी प्राइवेट टीचर ,घर बैठे ले रही थी सैलेरी

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उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक अजब-गजब मामला सामने आया है. जिले में भाजपा विधायक डॉ. मनोज प्रजापति की सरकारी टीचर पत्नी बिना स्कूल जाए ही वेतन ले रही हैं. यह मामला सामने आने के बाद से जिले में विधायक की हनक की चर्चा जोरों से हो रही है.
हमीरपुर सदर सीट से भाजपा विधायक डॉ. मनोज प्रजापति की सरकारी शिक्षक पत्नी देशप्राची चक्रवर्ती महीने में सिर्फ एक दिन स्कूल जाती हैं और पूरे महीने की हाज़िरी चढ़ाकर पूरी तनख्वाह ठसक से उठाती हैं. मजेदार बात यह है कि उनकी तैनाती पति के पैतृक गांव पौथिया में ही है. अपनी जगह देशप्राची ने गांव की ही एक युवती को 5 हजार रुपये महीने में रखा है. इस मामले का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. हालांकि, AajTak वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

जिले में सुमेरपुर विकास खंड का “पौथिया” गांव भाजपा विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का पैतृक गांव है. विधायक की पत्नी देशप्राची चक्रवर्ती की गांव के कन्या प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती है.

पति के सत्ताधारी पार्टी का विधायक बनने के बाद से उनकी ठसक और बढ़ गई है. अब वह महीने में सिर्फ एक दिन स्कूल जाती हैं और वो भी हाजिरी रजिस्टर में पूरे महीने के साइन करने के लिए. देशप्राची ने गांव की ही श्रेया सचान को 5 हजार रुपये महीने में अपनी जगह पढ़ाने को रखा हुआ है.

स्कूल की प्रधानाध्यापक पुष्पा सचान कह रही हैं कि देशप्राची माह में एक दिन आती हैं और सारे दिनों के हस्ताक्षर करके वापस चली जाती हैं. उन्होंने अपनी जगह एक गांव की प्राइवेट टीचर को पढ़ाने के लिए लगाया है. इस बात की पुष्टि स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं भी वीडियो में कर रही है.

छात्राएं कह रही हैं कि देशप्राची मैडम एक दिन आती हैं और तुरंत चली जाती हैं. कई छात्राएं तो उन्हें पहचानती भी नहीं हैं. भाजपा विधायक का मामला होने के कारण बेसिक शिक्षा विभाग और आलाधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं. इस मामले में बीएसए आलोक सिंह का कहना है कि वह मामले की जांच कराएंगे और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो वायरल होने के बाद से सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति इसे विरोधियों की साजिश बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा विधायक का कहना है कि उनकी पत्नी बीमारी की वजह से सिर्फ चार दिन स्कूल नहीं गई थी. इसी का फायदा उठाकर विरोधी इसे मुद्दा बना रहे हैं.