ऐंपण कला को दिलाई शमशाद पिथौरागढ़ी ने नई पहचान, कपिल शर्मा शो से लेकर कोक स्टूडियो में बने चर्चा का विषय
उत्तराखंड के कुमाऊं की परंपरागत कला ऐंपण को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस कला को शमशाद पिथौरागढ़ी ने एक नई पहचान दिलाई है। शमशाद पिथौरागढ़ी पिछले तीन दशकों से ऐंपण बना रहे हैं। उनकी कला के कारण आज वो कपिल शर्मा शो से लेकर कोक स्टूडियो भारत तक में चर्चा का विषय बन गए हैं।
ऐंपण कला के दिलाई शमशाद पिथौरागढ़ी ने नई पहचान
जहां एक ओर आज के इस दौर में युवा अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं और उस से अपना मुंह मोड़ रहे हैं। तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो संस्कृति को अलग पहचान दिला रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं शमशाद पिथौरागढ़ी जो कि उत्तराखंड की ऐंपण कला को देश ही नहीं दुनिया में नई पहचान दिला रहे हैं।
शमशाद पिथौरागढ़ी का जन्म तो चमोली जिले में हुआ था लेकिन उनके प्रारंभिक जीवन की शुरूआत पिथौरागढ़ से हुई। यहीं से उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। पिथौरागढ़ में शमशाद नवोदय पर्वतीय कला केंद्र के संपर्क में आए और यहीं से उनका ऐंपण के साथ सफर शुरू हुआ।
ऐंपण के साथ ही कुमाऊंनी भाषा के लिए भी किया ये खास काम
आपको बता दें कि शमशाद पिथौरागढ़ी ने ना केवल उत्तराखंड के कुमाऊं की ऐंपण कला को नए पटल पर ले जाने का काम किया है। बल्कि उन्होंने कुमाऊंनी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भी काम किया है। शमशाद गीत भी लिखते हैं। उत्तराखंड संगीत जगत में भी उन्होंने अच्छा काम किया है। शमसाद अब तक 15 से 20 गीत लिख चुके हैं।
शमसाद बीते तीन दशकों से पहाड़ी विरासत को सहेजने का काम कर रहे हैं। आपको बता दें कि शमसाद के बनाए हुए ऐंपण वो गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेंट किए जा चुके हैं।
विश्व रिकॉर्ड भी बना चुके हैं शमसाद
शमसाद पिथौरौगढ़ी बीते तीन दशकों (29 वर्ष) से लगातार उत्तराखंड की संस्कृति व ऐपण कला को 300 चीज़ों पर बनाकर विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने वाली धरोहर ऐपण को संरक्षण कर वर्ष 1995 से देश-विदेश के पटल पर रखने का कार्य कर रहे हैं।
जिसके लिए उन्हें कई बड़े मंचों पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, राज्यपाल सामाजिक संस्थाएं व कई केंद्रीय मंत्रियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। पिथौरागढ़ी ने उत्तराखंड की संस्कृति पर आधारित कई तीज त्यौहारों, हिलजात्रा, रम्माण, फूलदेई और गमरा के चित्रों की पेंटिंग बनाकर कई प्रदर्शनिया व विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।
कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
- 1- उत्तराखंड देवभूमि लोक सम्मान 2022
- 2- उत्तराखंड कला सम्मान 2023
- 3- भारत भूषण सम्मान 2022
- 4- छलिया महोत्सव पिथौरागढ़ 1997, 2000, 2003, 2007 सम्मान
- 5- शरदोत्सव एवं विकास प्रदर्शनी पिथौरागढ़ 2007 सम्मान
- 6- उत्तराखंड हिमालियन सम्मान 2020
- 7- OMG नेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड 2020
- 8- ब्रिटेन चैंपियंस वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड 2022
- 9- डीडीहाट खेल महोत्सव में कला सम्मान
- 10- नोएडा महाकौथिग सम्मान
- 11- उत्तरैणी मकरैणी में कला सम्मान
- 12- उत्तरायणी कौथिग खटीमा कला संस्कृति सम्मान 2022, 2023
- 13- कोक स्टूडियो भारत द्वारा सम्मान 2024
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