अब चेतावनी के साथ मिलेगा Samosa और Jalebi, हेल्थ अलर्ट लिस्ट में शामिल

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Samosa Jalebi with health warning signs: अगर आप भी समोसा और जलेबी के दिवाने है तो ये खबर आपके लिए है। अब जब अगली बार आप किसी ठेले या कैंटीन से गरमागरम समोसे या रसभरी जलेबी खरीदें, तो हो सकता है आपको वहां एक बोर्ड टंगा दिखे। जिसमें बताया गया हो कि इस स्वाद में छिपा है कितना तेल, कितनी चीनी और सेहत पर क्या असर डाल सकता है।

दरअसल अब समोसा और जलेबी आदि भी हेल्थ अलर्ट लिस्ट में शामिल हो गए है। यानी की अब इनको खाने से पहले वार्निंग दी जाएगी। बिल्कुल वैसा ही जैसा सिगरेट के पैकेट पर लिखा होता है, “स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।”

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अब चेतावनी के साथ मिलेगा Samosa, Jalebi

केंद्र सरकार की इस नई पहल के तहत अब सरकारी संस्थानों में तले-भुने और मीठे व्यंजनों के साथ उनके पोषण से जुड़ी चेतावनी देना अनिवार्य किया जा रहा है। यानी कि अब समोसे (Samosa) के साथ लिखा होगा कि इसमें कितना ट्रांस फैट है। साथ ही जलेबी (Jalebi) के साथ बताया जाएगा कि इसमें कितनी चीनी है।

एम्स नागपुर से हो चुकी है शुरुआत

ये अभियान एम्स नागपुर जैसे संस्थानों से शुरू हो चुका है। वहां की कैंटीनों और फूड स्टॉल्स पर अब ऐसे बोर्ड लगने लगे हैं जो लोगों को ये जानकारी देते हैं कि उनके फेवरेट स्ट्रीट फूड में कितना फैट, शुगर और तेल है।

समोसे-जलेबी के बाद वड़ा पाव, पकोड़े और लड्डू की बारी

स्वास्थ्य मंत्रालय का अगला कदम इन पारंपरिक स्नैक्स की पूरी लिस्ट पर चेतावनी जोड़ने का है। यानी आने वाले समय में वड़ा पाव, पकोड़े, मिठाइयों और हर उस फूड आइटम की जानकारी बोर्ड पर दिखेगी। जिसे ज्यादा खाने से मोटापा, हाई BP या डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

मोटापा बन रहा है देश का नया संकट

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर हेल्थ ट्रेंड्स ऐसे ही रहे तो 2050 तक भारत में 45 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे की चपेट में आ सकते हैं। यही वजह है कि सरकार अब खाने को लेकर भी उतनी ही गंभीर है जितनी तंबाकू और सिगरेट को लेकर है।

कोई बैन नहीं, सिर्फ अवेयरनेस

सरकार ने साफ किया है कि वह समोसे या जलेबी पर कोई पाबंदी नहीं लगा रही है। इसका मकसद लोगों को सही जानकारी देना है ताकि वो सोच-समझकर खाएं। जैसे पहले सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखने से लोगों में जागरूकता बढ़ी। वैसे ही अब खाने की थाली में भी ‘चेतावनी का स्वाद’ जोड़ने की तैयारी है। क्योंकि अब चीनी और ट्रांस फैट को नया ‘स्लो पॉइज़न’ माना जा रहा है