uksssc पेपर लीक मामले में नया खुलासा-चेयरमैन और सचिव बिना अनुबंध ले रहे थे आरएमएस टेक्नो से काम

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उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग के अफसरों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। एसटीएफ की जांच में पता चला है कि पेपर लीक में फंसी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी तीन साल से बिना अनुबंध के ही परीक्षा करा रही थी।


एसटीएफ की जांच में रोजाना नए खुलासे हो रहें हैं। एसटीएफ की जांच में पता चला है कि पेपर लीक में फंसी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशंस कंपनी बिना किसी सक्रिय अनुबंध के ही काम कर रही थी। पिछले तीन सालों से इस कंपनी के अनुबंध का नवीनीकरण ही नहीं हुआ है।


अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के लिए बने एक्ट के हिसाब से हर साल परीक्षा कराने वाली एजेंसी का चयन या नवीनीकरण होना चाहिए। आयोग में लखनऊ की आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी 2016 में तत्कालीन अध्यक्ष आरबीएस रावत व सचिव एमएस कन्याल के कार्यकाल में सूचीबद्ध हुई थी। इसके बाद इस कंपनी का नवीनीकरण एक बार ही किया गया। 2019 में आरएमएस कंपनी का अनुबंध खत्म हो चुका है।

बावजूद इसके आयोग ने अनुबंध नवीनीकरण की जरूरत नहीं समझी। बिना अनुबंध ही आयोग इस कंपनी से पेपर छापने के अलावा बायोमीट्रिक हाजिरी से लेकर तमाम काम कराता रहा।


इस खुलासे के बाद अब आयोग की जिम्मेदारी संभालने आए नए अधिकारी हैरान हैं। उन्होंने इस संबंध में अब तहकीकात शुरु कर दी है। आखिर किसने नवीनीकरण से छूट दी और क्यों दी गई। एक्ट के निर्देशों को बाईपास क्यों किया गया।


प्रथम दृष्टया इस मामले में आयोग के चेयरमैन और सचिव की लापरवाही सामने आ रही है। माना जा रहा है कि आला अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही बरती और आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी पर मेहरबानी बनाए रखी।



आपको बता दें कि भर्ती प्रक्रिया में घोटाला सामने आने के बाद आयोग के चेयरमैन एस राजू इस्तीफा देकर चले गए जबकि सचिव संतोष बड़ोनी अपने मूल विभाग में लौट आए। अब एसएस रावत को आयोग का सचिव बनाया गया है जबकि शालिनी नेगी परीक्षा नियंत्रक के तौर पर कामकाज देख रहीं हैं। ये दोनों ही अधिकारी इतनी बड़ी लापरवाही देख कर न सिर्फ हैरान हैं बल्कि उनके सामने एक बड़ा संकट भी आ गया है। दरअसल जिस कंपनी के साथ वर्तमान में कोई अनुबंध ही प्रभावी नहीं है उसके खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाए।


पेपर लीक में फंसी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी तीन साल से बिना अनुबंध ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाएं करा रही थी। आयोग में कामकाज संभालने वाले नए अधिकारी भी यह देखकर हैरान-परेशान हैं। हालांकि कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी हो गई है लेकिन आयोग के लापरवाह अफसरों के भी अब कार्रवाई की जद में आने की आशंका बढ़ती जा रही है।