महबूबा की बहन रुबिया सईद ने इस अलगाबवादी नेता को पहचाना, 32 साल पहले भी हुए था अपहरण अभी आतंकी फंडिंग मामले मे जेल मे है बंद
जम्मू एसकेटी डॉट कॉम
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं बीपी सरकार में गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद शुक्रवार को स्पेशल सीबीआई कोर्ट के सामने पेश हुईं। अधिकारियों ने कहा कि अदालत में शुक्रवार को रुबैया सईद ने 1989 के अपहरण से संबंधित एक मामले में जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान की।
यह पहली बार है जब रुबैया सईद को मामले में पेश होने के लिए कहा गया है। दरअसल उस अपहरण कांड में रुबैया को पांच आतंकवादियों को रिहा करने के बाद उन्हें मुक्त कर दिया गया था।सीबीआई वकील मोनिका कोहली ने बताया कि 1989 अपहरण के मामले में गवाह रुबैया सईद जो कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन हैं का बयान अदालत में दर्ज किया गया।
इस दौरान उन्होंने यासीन मलिक को पहचान लिया है। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त है। रुबैया ने कुल 4 आरोपियों की पहचान की है।रूबैया सईद के वकील अनिल सेठी ने बताया कि हां, वह (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद) सीबीआई जांच के दौरान उन्हें उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर सभी की पहचान करने में सक्षम है। अनिल सेठी ने कहा कि उन्हें अगली सुनवाई में आने के लिए कहा गया है। यासीन मलिक कह रहा था कि उसे जिरह के लिए व्यक्तिगत रूप से जम्मू लाया जाए।
रुबैया सईद, जो कि इस समय तमिलनाडु में रहती हैं। सीबीआई की ओर से अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में रबैया सईद लिस्टेड हैं। सीबीआइ ने 1990 की शुरुआत में मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। प्रतिबंधित जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। उन्हें हाल ही में एक आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
8 दिसंबर 1989 वह तारीख थी, जब केंद्र में वीपी सिंह को सत्ता संभाले एक हफ्ता भी नहीं बीता था। दोपहर 3 बजे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद अपनी पूरी ड्यूटी होने के बाद घर के लिए निकली। वह उस वक्त एमबीबीएस पूरा करने के बाद श्रीनगर के अस्पताल में इंटर्नशिप कर रही थीं। वह बस में सवार हुई जो लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। बस में आतंकी पहले से सवार थे। जैसे ही बस चानपूरा चौक के पास पहुंची, तीनों आतंकियों ने बंदूक की नोक पर बस रुकवा दी। रूबिया सईद को नीचे उतारकर नीले रंग की मारुति कार में बिठा दिया और फरार हो गए।
घटना के दो घंटे बाद ही जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक स्थानीय अखबार को फोन करके भारत के गृहमंत्री की बेटी के अपहरण की जिम्मेदारी ली। दिल्ली से श्रीनगर तक पुलिस से लेकर इंटेलिजेंस की बैठकों का दौर शुरू हो गया। आतंकियों ने रूबिया को छोड़ने के बदले में 7 आतंकियों की रिहाई की मांग की। मध्यस्ता के लिए कई माध्यम खोले गए। इस पूरी कवायद में 5 दिन बीत गए और 8 दिसंबर से 13 दिसंबर की तारीख आ चुकी थी। 13 दिसंबर 1989 की सुबह दिल्ली से दो केंद्रीय मंत्री विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल और नागरिक उड्डयन मंत्री आरिफ मोहम्मद खान श्रीनगर पहुंचे।
उनके साथ तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नाराणयन भी थे। तीनों फारूक अब्दुल्ला से मिलने पहुंचे थे। जब यह अपहरण कांड हुआ था उस वक्त फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे.
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