मनीष खंडूरी ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, तीन दिन पहले कहा था ये
मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। जहां एक ओर पार्टी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के मंथन में लगी है तो वहीं इस बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मनीष खंडूरी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस में हलचल मच गई है।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा झटका
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट कर दी है। जिसके बाद से कांग्रेस में हलचल मच गई है।
तीन दिन पहले कहा था ये
तीन दिन पहले मनीष खंडूरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि वो राजनीति में क्यों हैं ? उन्होंने कहा कि वो पिछले पांच साल उत्तराखंड के अपने क्षेत्र में लगातार भ्रमण पर हूं। साल 2019 के चुनाव में और उसके बाद से लेकर अब तक उत्तराखंड में विशेष तौर पर गढ़वाल के गांव-गांव में घूमा और लोगों से जुड़ा औऱ कभी पीछे नहीं हटा।
कुछ लोगों ने सोचा था कि ये वापस चला जाएगा लेकिन मैं कहीं नहीं गया। यहां की संस्कृति औऱ यहां की मिट्टी की खुशबू से औऱ अच्छे तरह रूबरू हुआ। मैंने यहां के दुःख दर्द समझे और यहां की रोज़ की परेशानियों और दिक्कतों से रूबरू हुआ। मैंने उत्तराखंड औऱ यहाँ के लोगों के लिए विशेष कर मातृशक्ति एवं युवा के लिए हमेशा प्रयास करना चाहा।
उत्तराखण्ड की समस्याओं को ग्राउंड लेवल पर समझा
मनीष खंडूरी ने कहा कि बीते पांच साल के दौरान मैंने उत्तराखण्ड की समस्याओं को Ground Level पर जाकर समझने की कोशिश की। इसके लिए मैंने अपने तन मन धन से अपना ज्यादा तर समय उत्तराखंड के उन गांवो में बिताया जो कि बाजारों औऱ सड़कों से कई कई किलोमीटर की दूरी पर है l पर शायद मेरा प्रयास कुछ एक लोगों की पसंद नहीं आया। एक ऐसा भी सवाल उठा कि मनीष खंडूरी को गढ़वाल में क्यों जाने दिया जा रहा है।
मैं चुनाव लड़ने के लिए नहीं हूं राजनिति में
मनीष खंडूरी ने कहा कि मैं राजनीति में टिकट लिए नहीं हूँ, मैं राजनीति में मंत्री बनने के लिए नहीं हूं। अगर कोई ये सोच रहा है कि मुझे टिकट या फिर पद का लालच है तो यह उनकी भूल है। मैं राजनीति में एक impact करने के लिए हूँ, विशेषकर यहाँ के युवा और मातृशक्ति के मुद्दों को लेकर l मैं अपने successful professional life (FACEBOOK)छोड़ कर एक सोच एक विचार लेकर आया हूँ। मेरी सोच टिकट, पद, एमपी या एमएलए बनने से हट कर है। अगर आप पद हासिल करने के बाद भी समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहें हैं तो इन चीज़ों का मेरे लिए कोई औचित्य नहीं है।
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