Loksabha Election : कांग्रेस को थी जिनसे चुनाव में आस, वही नेता बन गए भाजपा के खास, खल रही कमी

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कहते हैं कि राजनीती में कोई किसी का सगा नहीं होता। हर चुनावी दंगल में इस तरह के नज़ारे देखने को मिलते हैं। ठीक उसी तरह उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह का नजारा देखने को मिला। चुनाव में कांग्रेस को जिस नेता से आस थी। वही सियासी विरोधियों के खास बन गए।

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चुनावी जंग में उतरे प्रत्याशियों को खल रही कमी
बता दें लोकसभा चुनाव के ऐन वक्त पर कांग्रेस के कई नेता पार्टी का साथ छोड़ गए। चुनावी जंग में उतरे प्रत्याशियों को भी इनकी कमी खल रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी छोड़ने वाले साथ होते तो कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव में प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने में सहयोग मिलता।

कई नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ थामा BJP का दामन
लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद कांग्रेस को उत्तराखंड में एक के बाद एक झटके लगे हैं। कांग्रेस नेता मनीष खंडूड़ी, बदरीनाथ विधानसभा सीट से विधायक रहे राजेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, धन सिंह नेगी, महेश शर्मा, अशोक वर्मा समेत सैकड़ों नेता कांग्रेस का हाथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जिसके बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा है।

भंडारी का पार्टी छोड़ना हमारे लिए है बड़ा नुकसान : गोदियाल
बताते चलें पौड़ी गढ़वाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को चुनाव में राजेंद्र भंडारी से काफी उम्मीदें थीं। गोदियाल ने यहां तक कहा था कि भंडारी ने चुनाव लड़ने के लिए मुझे आगे किया। जब पार्टी ने टिकट दिया तो साथ छोड़कर चले गए। भंडारी का पार्टी छोड़ना हमारे लिए बड़ा नुकसान है। लेकिन राजनीती में एक व्यक्ति जाता है तो दूसरा आता है। किसी व्यक्ति का स्थान खाली नहीं रहता है।

दबाव की राजनीती के चलते छोड़ी पार्टी
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को लेकर एक बयान में कहा था कि भाजपा के दबाव की राजनीती के चलते कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ कर गए हैं। लेकिन पार्टी को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। पार्टी छोड़ कर वे लोग गए हैं जिनके कामों की जांच चल रही है और उनके कार्रवाई में फंसने की नौबत है या सत्ता दल के बड़े नेताओं के पार्टनर हैं। माहरा ने कहा पार्टी का कार्यकर्ता एक सिपाही की तरह कांग्रेस के साथ खड़ा है।