KAINCHI DHAM : आखिर कैसे बाबा ने ली थी महासमाधी, क्या हुआ था नीम करौली बाबा की महासमाधी के दिन ?
नीम करौली बाबा किसी पहचान के मोहताज नहीं है भारत में ही नहीं नीम करौली बाबा के भक्त विदेशों में भी हैं। बाबा के जन्म के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे लेकिन क्या आपको पता है की आखिर कैसे बाबा ने महासमाधी ली थी क्या हुआ था बाबा कि महासमाधी के दिन ?
आखिर कैसे बाबा ने ली थी महासमाधी ?
बाबा नीम करौली पर लाखों भक्तों की आस्था है। हर साल 15 जून को बाबा के धाम कैंची धाम में भव्य मेला लगता है। लाखों की संख्या में इस मेले में शामिल होने के लिए भक्त कैंची धाम आते हैं। क्या आप जानते हैं कि बाबा ने जिस दिन समाधि ली थी तो उस दिन क्या हुआ था। सुबह का समय था नीम करौली बाबा (Neem Karauli Baba) अपने सीने में दर्द के इलाज करा कर आगरा से वापस आ रहे थे। ट्रेन में उनके अन्य भक्त भी बैठे थे अचानक बाबा की देह अकड़ने लगी बाबा के भक्त इसे देख कर घबरा गए और मथुरा स्टेशन में उतर गए। मथुरा स्टेशन में बाबा ने अपने भक्तों से कहा की मुझे वृंदावन जाना है।
उनकी नाजुक हालत देख कर भक्त उन्हें वृंदावन ना लेजाकर पास ही के एक अस्पताल ले गए। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर ने बाबा को इंजेक्शन दिए और उनके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा दिया। डॉक्टर्स ने बाबा के भक्तों को बताया कि बाबा अभी डायबिटिक कोमा में हैं लेकिन उनकी पल्स ठीक हैं तो घबराने की कोई बात नहीं। अब डॉक्टर को क्या पता कि जो बिना कहे ही सबकी प्रोब्लम्स समझ जाता है क्या उसे अपनी प्रॉब्लम का कोई अंदाज़ा नहीं होगा।
बाबा ने महासमाधी लेने के लिए रची थी ये लीला
बाबा महासमाधी लेने के लिए ये लीला रच रहे थे। बाबा अस्पताल के एक कमरे में सोए हुए थे उनके भक्त उनके आस पास खड़े थे अचानक बाबा के हाथों में मूवमेंट हुई भक्त खुश हो गए तभी महाराज जी चौंक कर जाग गए। उन्होंने अपने चेहरे से ऑक्सीजन मास्क निकाल फेंका। अपनी बांह से रक्तचाप मापने वाले बैंड खींच कर फेंकते हुए वो बोले बेकार है बेकार है। अपनी देह त्यागते समय महाराज जी ने गंगा जल मांगा पर उस अस्पताल में गंगाजल आता तो आता कैसे तो उनको गंगाजल की जगह सामान्य पानी ही दे दिया गया। पानी पीते ही महाराज नीम करोली ने “जय जगदीश हरे” रटते रटते 11 सितंबर, 1973 की सुबह लगभग 1:15 बजे अपनी देह त्याग दी।
बाबा का जीवन सादा जीवन उच्च विचार की मिसाल
बाबा का जीवन सादा जीवन उच्च विचार की मिसाल है। बाबा के भक्तों में गोविन्द बल्लभ पंत और नारायण दत्त तिवारी भी शामिल थे। वहीं विदेशों के प्रसिद्ध लोग भी उनके भक्त हैं। एप्पल के मालिक भी उनके सामने सिर झुकाते हैं। बाबा की आंखों में कुछ ऐसा जादू था कि वो एक बार किसी को देख लें तो उसे अपना भक्त बना लेते थे।
इसी का असर है कि आज भी बाबा के इतने भक्त हैं। महाराज की आंखों का जादू ही था कि हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड अल्बर्ट उनके भक्त बन गए और जिनको बाबा ने राम दास नाम दिया। इसके अलावा महाराज ने स्टीव जॉब्स से लेकर मार्क जुकरबर्ग के दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी। आज भक्त बाबा के दर्शनों के लिए कैंची धाम (KAINCHI DHAM ) आते हैं
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