बस बोर हो रहा था… इसलिए मां को मार डाला ,सनक या मानसिक रोग? डॉक्टर की राय जानें

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'बस बोर हो रहा था... इसलिए मां को मार डाला' ,सनक या मानसिक रोग? डॉक्टर की राय जानें

  यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अगर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को समय पर समझा और संभाला न जाए, तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं। महाराष्ट्र के नासिक से आई यह दिल दहला देने वाली खबर इसी सच्चाई को उजागर करती है।

घटना का पूरा मामला

नासिक के जेल रोड स्थित शिवाजीनगर इलाके में एक 58 वर्षीय बेटे ने अपनी 80 वर्षीय मां की गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस जांच में सामने आया है कि इस हत्या के पीछे न तो लालच था, न झगड़ा बल्कि आरोपी ने खुद पुलिस को बताया कि उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह “बोर हो गया था।” हत्या के बाद आरोपी सीधे नासिक रोड पुलिस स्टेशन पहुंचा और बोला  “मैं बोर हो गया था, इसलिए मां को मार डाला, अब मुझे गिरफ्तार कर लो।” यह सुनकर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए। आरोपी की पहचान अरविंद मुरलीधर पाटिल के रूप में हुई है।

मानसिक बीमारी से जूझ रहा था आरोपी

पुलिस की जांच में सामने आया है कि अरविंद लंबे समय से मानसिक असंतुलन का शिकार था। उसका इलाज भी पहले चल चुका था, लेकिन परिवार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। बताया जा रहा है कि उसकी पत्नी भी मानसिक स्थिति खराब होने के कारण उसे छोड़कर जा चुकी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, वह अक्सर घर में अकेला रहता था और लोगों से बहुत कम बातचीत करता था। धीरे-धीरे उसका व्यवहार असामान्य होता गया और अंततः यह दर्दनाक घटना घट गई।

डॉक्टर की चेतावनी  मानसिक बीमारियों को हल्के में न लें

NBT ने इस मामले पर पुणे स्थित जुपिटर हॉस्पिटल की साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ति मोदक से बात की। उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में मरीज को डिप्रेशन, सिज़ोफ्रेनिया या पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यह व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता पर असर डालती हैं और वह वास्तविकता व कल्पना के बीच फर्क नहीं कर पाता। ऐसे में अपराध भी उसे सामान्य लग सकता है।”

शुरुआती लक्षण पहचानना बेहद जरूरी

डॉ. ने आगे कहा कि हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोग अभी भी शर्म महसूस करते हैं, जबकि यह किसी भी शारीरिक बीमारी जितनी ही गंभीर स्थिति है। उन्होंने सलाह दी कि  अगर कोई व्यक्ति अचानक अलग-थलग रहने लगे, बिना वजह गुस्सा करने लगे, या लगातार उदासी, बोरियत या नींद की समस्या झेल रहा हो, तो तुरंत साइकेट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें

यह घटना हमें यह सिखाती है कि मानसिक स्वास्थ्य को हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है। बोरियत, तनाव या अकेलेपन जैसी स्थितियों को मामूली न समझें। समय पर काउंसलिंग, दवा और परिवार का सहयोग कई जिंदगियों को बचा सकता है और ऐसे अपराधों को रोक सकता है।