#Judge-जज के लिए मौत की सजा मांगने मांगे पर छात्र को मिली ऐसी सजा

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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक वादी को छह महीने जेल की सजा सुनाई। जिसने उसकी याचिका खारिज करने वाले सिटिंग (मौजूदा) जज के लिए मौत की सजा की मांग की थी। वादी का नाम नरेश शर्मा है। कोर्ट ने पाया कि वादी जिसके खिलाफ अगस्त में आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की गई थी, को अपने आचरण और कार्यों के लिए कोई पश्चाताप नहीं है। सजा सुनाते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति शैलेंदर कौर की खंडपीठ ने कहा, ‘बेशक यह मान लिया जाए कि अवमाननाकर्ता ने गुस्से के कारण रिट याचिका को प्राथमिकता दी, लेकिन कारण बताओ नोटिस जारी होने के बावजूद, उसने बिना दोष स्वीकार किए, अत्यधिक अपमानजनक जवाब दाखिल किया, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसे अपने कार्यों पर कोई पछतावा नहीं है।’
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पीठ ने कहा, ‘बल्कि अवमाननाकर्ता का कहा है कि उसने जो कुछ भी किया उसके लिए उसे कोई पछतावा नहीं है और वह उसी पर कायम है। उसने एकल पीठ के लिए बेहद अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है।’ शर्मा ने समन्वय पीठ के समक्ष अपनी अपील में आग्रह किया कि एकल पीठ के न्यायाधीश पर आपराधिक आरोप लगाया जाना चाहिए क्योंकि उनका फैसला ‘न केवल निराधार बल्कि मानहानिकारक और झूठ से भरा हुआ था।’
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कोर्ट ने आगे कहा, ‘देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में, उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अदालत और न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनाए रखते हुए सभ्य तरीके से अपनी शिकायतें व्यक्त करें।’ अगस्त में, हाईकोर्ट ने 20 जुलाई को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली शर्मा की अपील पर सुनवाई करते हुए आपराधिक अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें प्रत्येक पर 30,000 रुपये के जुर्माने के साथ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
शर्मा ने सरकारी अधिकारियों के लिए फायरिंग स्क्वाड द्वारा मृत्युदंड की भी मांग की थी। 27 जुलाई को न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा की एकल पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने न्यायाधीश के खिलाफ तीन अपीलें दायर कीं। इसके अलावा उनके और शीर्ष अदालत के खिलाफ कुछ तीखी टिप्पणियां कीं। इससे पहले आईआईटी के पूर्व छात्र शर्मा ने एकल न्यायाधीश के समक्ष सरकारी संगठन को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था