जिम कॉर्बेट में भाजपा नेता कर रहा अवैध निर्माण ?, कांग्रेस ने लगाए बड़े आरोप

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जिम कॉर्बेट में चल रहे निर्माण कार्यों को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा जन युवा मोर्चा का राष्टीय सचिव द्वारा जिम कार्बेट में कॉटेज बनाने के लिए एक प्रोजेक्ट लॉच करने की बात हो रही है। इसमें इस बात की जांच होनी चाहिए कि ये जमीन सरकारी है या प्राइवेट है।

कांग्रेस ने जिम कॉर्बेट में चल रहे निर्माण कार्यों का विरोध किया। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बताया की भाजपा जन युवा मोर्चा का राष्टीय सचिव, उत्तराखण्ड प्रभारी भारतीय जन युवा मोर्चा, प्रवक्ता दिल्ली भाजपा, हरिनगर दिल्ली से भाजपा का विधायक प्रत्याशी और बीए प्रोपर्टी वाला कंपनी का फाउण्डर तेजेन्दर पाल सिंह बग्गा की कम्पनी बीए प्रोपर्टी वाला ने ट्विटर पर जिम कार्बेट का एक विडियो डाला है।

जिम कार्बेट में हो रहे निर्माण कार्यों पर उठाए सवाल
तेजेन्दर पाल सिंह बग्गा द्वारा 18 कॉटेज बनाने के लिए एक प्रोजेक्ट लॉच करने की बात हो रही है। जिसमें कंस्ट्रक्शन साईट जिम कॉर्बेट बताई जा रही है। इसमें दो बीएचके के कॉटेज का दाम 68 लाख बताया जा रहा है। एक कॉटेज का ऐरिया 1800 स्कावयर फीट बताया जाा रहा है। जिसमें निवेश करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है।

कांग्रेस ने इस मामले सवाल किया है कि ये जमीन सरकारी है या प्राइवेट ? कांग्रेस का कहना है कि धामी सरकार को ये जमीन प्राइवेट है या सरकारी इसकी निश्चित रूप से जांच करनी चाहिए।

जिम कॉर्बेट के अंदर निर्माण कार्य किसकी अनुमति से हो रहे ?
कांग्रेस ने इस पर भी सवाल उठाया है कि जिम कॉर्बेट के अंदर यह निर्माण कार्य किस की संस्तुति और सहमति पर हो रहे हैं? कांग्रेस का कहना है कि इस निर्माण से बड़े पैमाने पर जंगल, पर्यावरण और पशु पक्षियों को नुकसान होना तय है।

हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त कानून जरूरी
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि आज राज्य को हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एक बहुत ही सख्त कानून की जरूरत है। जो कि पहले राज्य में विद्यमान था।

लेकिन भाजपा की प्रचंड बहुमत की 57 विधायकों वाली त्रिवेंद्र रावत सरकार ने 2018 में उत्तराखंड की भूमि को सभी बाहरी व्यक्तियों के लिए खोल दिया।

इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि अब जब बाहर से आने वाले कोई भी धर्म जाति समुदाय वर्ग के लोग यहां जमीनें खरीद रहे हैं तो अपने राजनीतिक फायदे के लिए लैंड जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है।