सड़क दुर्घटनाओं में बेहद अहम है ‘गोल्डन ऑवर’, घायलों की जान बचाने के लिए मानते हैं महत्वपूर्ण

Ad
Ad
ख़बर शेयर करें




भारत में दुघर्टनाओं के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हुआ है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहें हैं कि लेकिन आम लोगों के सहयोग के बिना इन उपायों को पूरी तरह कारगर बनाना संभव नहीं हो पा रहा है। खास तौर पर सड़क दुर्घटनाओं में एक्सिडेंट के बाद घायलों की मदद के लिए आम नागरिकों का सहयोग न मिलना एक बड़ी समस्या बनी हुई है।


रोड एक्सीडेंड के बाद सबसे ज्यादा जरूरी होता है, घायल हुए व्यक्ति को ‘गोल्डन ऑवर’ में उचित इलाज मिलना। ऐसा होने पर न सिर्फ घायलों की जान बचाई जा सकती है बल्कि घायल व्यक्ति के चोट से जल्द उबरने के चांस भी अधिक हो जाते हैं।

गोल्डन ऑवर क्या होता है ?
सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए गोल्डन ऑवर (Golden Hour) बेहद अहम होते हैं। आइए समझते हैं कि आखिर गोल्डन ऑवर होते क्या हैं ?

गोल्डन ऑवर शब्द का उपयोग रोड एक्सीडेंट के दौरान घायल व्यक्ति को उचित समय पर इलाज मिलने की समय सीमा के लिए किया जाता है। इसकी अवधारण फ्रांस की सेना ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की थी। उस वक्त डॉक्टरों का मानना था कि गोल्डन ऑवर जीवन और मृत्यु के बीच का वह महत्वपूर्ण समय जिसमें उचित इलाज मिले तो घायल व्यक्ति की जिंदगी बचाई जा सकती है। रोड एक्सीडेंट के दौरान यह समय एक घंटे का है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट में की माने तो सड़क दुर्घटना के बाद घायलों को समय से इलाज मिलने से हादसे में मृतकों की संख्या आधी की जा सकती है।

क्यों कहते हैं गोल्डन ऑवर ?
किसी भी दुर्घटना में गंभीर चोट लगने पर मरीजों के शरीर से काफी ज्यादा खून बह जाता है। मरीज का जितना ज्यादा खून बहेगा, उतना ही ज्यादा खतरा बढ़ता जाएगा। ऐसे में मरीज को जितनी जल्दी हो सकें उतनी जल्दी उचित इलाज मिलना चाहिए।

सड़क दुर्घटना होने के तुरंत बाद, सबसे पहली कोशिश पुलिस और एंबुलेंस को कॉल करने की होनी चाहिए। बिना कोई देर किए आपको तुरंत एम्बुलेंस या पुलिस को कॉल करना चाहिए। संभव हो तो घायलों की संख्या और उनकी स्थिती के बारे में भी बताएं। मसलन अगर कोई अधिक गंभीर रूप से घायल है तो चिकित्सकीय दल को पहले ही बता दें।

घायलों के साथ बरतें ये सावधानी
जब तक एंबुलेंस पहुंचे तब तक घायलों को सुरक्षित स्थान पर बैठा या लिटा दें। ध्यान रखें कि उन्हे अधिक हिलाएं डुलाएं न और न ही उसे गर्दन हिलाने दें। कोशिश करें कि चोट की गंभीरता और अधिक न बढ़ने पाए।

अगर आप घायल को फर्स्ट ऐड देने की कोशिश कर रहें हैं तो ये काम बहुत सावधानी से करें। अगर घायल के शरीर में कुछ चुभ या घुस गया है तो उसे निकालने की कोशिश नहीं करें। ऐसा करने से शरीर से बहुत ज्यादा खून बह सकता है