इतने महीने बाद ग्रीष्मकाल के लिए खुले गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट
पर्यटकों और पर्वतारोहियों के साथ ही प्रकृति प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट आज छह महीने बाद खोल दिए गए हैं। पार्क के गेट खुलने के साथ ही पर्यटकों और पर्वतारोहियों का इंतजार खत्म हो गया है।
प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है पार्क
गंगोत्री हिमालय में 40 से अधिक पर्वत चोटियां हैं। इसके साथ ही पार्क क्षेत्र में स्थित गोमुख तपोवन ट्रैक, केदारताल, सुंदरवन, वासुकीताल, जनकताल ट्रैक के साथ गरतांग गली भी पर्यटकों को खासा आकर्षित करते हैं।
छह महीने बाद पर्यटकों के लिए खुले गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट
छह महीने बाद गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं। जिससे पर्यटकों और पर्वतारोहियों का इंतजार खत्म हो गया है। शनिवार एक अप्रैल को ग्रीष्मकाल के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट खोल दिए गए हैं। हर साल पार्क के गेट 30 नवंबर को बंद कर दिए जाते हैं। जिसके बाद हर साल एक अप्रैल को पार्क के गेट खोले जाते हैं।
पहले दिन यहां नेलांग घाटी के भ्रमण के लिए पहुंचे पर्यटक
पार्क खुलने के पहले ही दिन यहां पर्यटक नेलांग घाटी के भ्रमण के लिए पहुंचे। पार्क में चार लोग भ्रमण के लिए पहुंचे। पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के बाद पार्क में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। आगामी सीजन में भी गंगोत्री नेशनल पार्क में पर्यटकों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है।
पार्क में ये है आर्कषण का केंद्र
गंगोत्री नेशनल पार्क में 40 से ज्यादा पर्वत चोटियां हैं। इसके अलावा पार्क क्षेत्र में स्थित गोमुख तपोवन ट्रैक, केदारताल, वासुकीताल, सुंदरवन, नंदनवन, जनकताल ट्रैक के साथ गरतांग गली भी आकर्षित करते हैं।
खासकर गरतांग गली को देखने देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। इसके साथ ही पार्क में सुदंर प्रकृतिक सुदंरता के दीदार के लिए भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है पार्क
गंगोत्री पार्क जहां अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। तो वहीं गंगोत्री नेशनल पार्क दुर्लभ प्रजाति के स्नो लेपर्ड समेत भरल और भूरा हाथी के लिए मशहूर है। इसके साथ ही पार्क में कई और दुर्लभ प्रजाति के जीव भी है। जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक एवं पर्वतारोही पहुंचते रहे हैं।
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