पांचवा केदार : जहां भगवान शिव की जटाओं की होती है पूजा, साल भर खुला रहता है ये मंदिर, ऐसे पहुंचें

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KALPESHWAR MAHADEV MANDIR पांचवा केदार : जहां भगवान शिव की जटाओं की होती है पूजा, साल भर खुला रहता है ये मंदिर, ऐसे पहुंचे

क्या आप जानते हैं की उत्तराखंड में एक ऐसा केदार मौजूद है जो साल भर भक्तों के लिए खुला रहता है. सर्दियों की ठिठुरन हो या गर्मी की तपती धूप. आप इस केदार में भगवान शिव के दर्शन साल भर कर सकते हैं.

साल भर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है कल्पेश्वर महादेव

यूं तो उत्तराखंड़ में भगवान शिव कदम-कदम पर पूजे जाते हैं. उत्तराखंड में भगवान शिव के कई धाम हैं. इन्हीं में से एक है केदारनाथ. सर्दियों में बर्फबारी की वजह से केदारनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं. लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसा केदार है जो सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है. चमोली की कल्पगंगा घाटी में बसा कल्पेश्वर महादेव मंदिर भक्तों के लिए साल भर खुला रहता है.

पंच केदारों में से एक है कल्पेश्वर महादेव

कल्पेश्वर महादेव पंच केदारों में सबसे अनूठा धाम है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां भगवान शिव की जटा की पूजा की जाती है. ऐसे तो इस धाम की कई पौराणिक मान्यताएं हैं कहा जाता है कि चमोली में स्थित कल्पेश्वर धाम का निर्माण पांड़वों ने किया था. जब पांडव महाभारत युद्ध के बाद गोत्र हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए भगवन शिव के दर्शन के लिए जा रहे थे. कहा जाता है तब भगवान शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे. इसलिए भगवान शिव ने बैल का रुप धारण कर लिया. लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया.

कल्पेश्वर महादेव में क्यों होती है भगवान शिव की जटा की पूजा ?

जैसे ही भीम भगवान को पकड़ने के लिए उनकी तरफ दौड़े तो भगवान शिव धरती में समाने लगे. तभी गदा धारी भीम के हाथ में शिव की पीठ का हिस्सा आ गया और भगवान शिव का बाकी भाग जैसे धड़ काठमांडू में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मदमहेश्वर में मुख रुद्रनाथ और जटा कल्पेश्वरमें प्रकट हुई और तभी से कल्पेश्वर में भगवान शिव की जटा की पूजा होने लगी.

दूसरी मान्यता के अनुसार ये वही जगह है जहां पर स्थित कुंड से शिव ने समुद्र मंथन के लिए जल दिया था. इसी से मंथन के समय चौदह रत्न उत्पन्न हुए थे. कहा ये भी जाता है की इस जगह परदुर्वासा ऋषि ने कल्पवृक्ष के नीचे बैठ कर तप किया था. जिस वजह से इस जगह को कल्पेश्वर कहा जाने लगा. कल्पेश्वर को कल्पनाथ भी कहा जाता है. यहां भगवान शिव की जटा की पूजा विशाल चट्टान के नीचे एक छोटी सी गुफा में की जाती है.

प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से भी खास है कल्पेश्वर महादेव

कल्पेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से भी बेहद खास है. यहां की शांति और प्रकृति भगवान शिव के और करीब होने का ऐहसास कराती है. इस मंदिर की बेहद खास बात ये है की जब सर्दियों के वक्त उत्तराखंड के सभी केदारों के कपाट बंद हो जाते हैं उस दौरान भी कल्पेश्वर महादेव श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. ये धाम उन सभी लोगों के लिए खास है जो सर्दियों के चलते बाबा केदार के दर्शन नहीं कर पाते हैं.

कैसे पहुंचे कल्पेश्वर महादेव मंदिर ? (How to reach Kalpeshwar Mahadev Temple?)

अगर आप कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. वहीं सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है. अगर आप बस या टैक्सी से आना चाहते हैं तो ऋषिकेश देहरादून और हरिद्वार से आपको यहां के लिए बस या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी