उत्तराखंड में जमीन धोखाधड़ी में फिर सामने आई खाकी की संलिप्तता, दारोगा लाइन हाजिर

देहरादून में जमीन धोखाधड़ी के मामले में पुलिस की संलिप्तता सामने आई है। राजपुर थाने में दर्ज एक मामले में विवेचक ने बिना जांच के ही फाइनल रिपोर्ट लगा दी। शिकायत मिलने पर आईजी गढ़वाल ने जांच कराई और दारोगा सुमेर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया। एसपी देहात को 15 दिनों में रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं।

देहरादून। दून में जमीन की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में खाकी की संलिप्तता लगातार सामने आ रही है। अभी कुछ दिन पहले ही ऐसे मामले में पांच लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे आइएसबीटी के चौकी प्रभारी को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था। अब राजपुर थाने में दर्ज करोड़ों की जमीन धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में विवेचक ने बिना तथ्य जांचे एक माह में ही फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी।
पीड़ित पक्ष ने इस मामले में आइजी गढ़वाल राजीव स्वरूप से शिकायत की और उन्होंने जांच कराई तो दारोगा की संलिप्तता का पता चला। आइजी ने दारोगा सुमेर सिंह को तत्काल लाइन-हाजिर कर दिया और एसपी देहात जया बलूनी को 15 दिन में आख्या उपलब्ध कराने के आदेश दिए। राजपुर निवासी अजय पुंडीर व जितेंद्र खरबंदा के विरुद्ध राजपुर थाने में करोड़ों रुपये की जमीन धोखाधड़ी के पांच मुकदमे दर्ज हैं। इन्हीं में से एक पीड़ित अनुज सिंह निवासी अमन विहार अपार्टमेंट, किरसाली भी है। अनुज ने बताया कि आरोपित अजय पुंडीर ने जमीन दिलाने के नाम पर उनसे करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर दी।
इस मामले में जनवरी 2024 में थाना राजपुर में अजय पुंडीर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। आरोप है कि मामले में विवेचना कर रहे दारोगा सुमेर सिंह ने बिना छानबीन किए एक माह के अंतराल में ही मुकदमे को समाप्त कर दिया।
आइजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने कहा कि प्रकरण में प्रथम दृष्टया दारोगा की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हुई है। मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगाना विवेचक की सत्यनिष्ठा को संदेहास्पद बता रहा है।
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