धामी को हराने के लिए उपचुनाव के मैदान में उतरेगी कांग्रेस, लेकिन कुछ और कहता है उपचुनाव का इतिहास,पढ़े खबर
पुष्कर सिंह धामी को हार के बावजूद भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उनको छह माह के भीतर चुनाव जीतना जरूरी है। जब से उन्होंने सीएम की कुर्सी संभाली, तब से ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि सीएम धामी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफा देने के साथ ही इस सस्पेंस से भी पर्दा उठ गया।
स्थिति साफ होने के बाद सीएम धामी चम्पावत से उपचुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर चुके हैं। गहतोड़ी के इस्तीफा देते ही सीएम धामी सबसे पहले चम्पावत पहुंचे और गृरु गोरखनाथ के दर्शन किए। उन्होंने लोगों का मन टटोलने का भी प्रयास किया। इतना ही नहीं सीएम धामी ने वहां कई घोषणाएं भी की।
इधर, चम्पावत से चुनाव लड़ने के सीएम धामी का रास्ता साफ होने के साथ ही कांग्रेस ने भी सीएम को फिर हराने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि वो हर हाल में इस चुनाव को जीतने के लिए मैदान में उतरेंगे। कांग्रेस का कहना है कि जिस तरह से खटीमा की जनता ने सीएम धामी को हराया। ठीक उसी तरह चम्पावत की जनता भी उनको हराने का काम करेगी।
हालांकि, उप चुनाव में जीत का इतिहास कुछ और ही कहता है। इतिहास की मानें तो भाजपा के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त की बात यह है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों के उपचुनाव का इतिहास जीत का रहा है। अब तक राज्य में एनडी तिवारी, बीसी खंडूड़ी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत के सामने उपचुनाव की चुनौती आई। सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने कालखंड में शानदार जीत दर्ज की।
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