हल्द्वानी गन्ना समिति के अध्यक्ष का सोयाबीन की फसल के लिए मैराथन प्रयास इन 3 किस्मों को किसानों के लिए कराया उपलब्ध

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कुमाऊं के भाबरी क्षेत्रों में कभी सोयाबीन किसानों की आजीविका का बड़ा कारण होता था यहां पर बड़ी मात्रा में सोयाबीन की फसल होती थी और जिसका हल्दुचौर की सोयाबीन रग फैक्ट्री में दोहन करने के बाद कई तरह के उत्पाद तैयार होते थे

लेकिन कालांतर में ऐसी परिस्थितियां बनी कि धीरे-धीरे सोयाबीन की फसलों में दिक्कतें आने लगी और सोयाबीन की पैदावार की मात्रा घटने लगी और किसानों का सोयाबीन से मोहभंग होने लगा

1 दिन ऐसा आएगा कि यहां के लोगों ने सोयाबीन बोनी ही बंद कर दी क्षेत्र में उड़द वही जाने लगी लेकिन उड़द में ही कई तरह की बीमारियां आने के बाद उड़द की फसल भी कम होती गई

सोयाबीन की फसल को दोबारा वही स्वरूप देने के लिए अब सार्थक प्रयास की जरूरत महसूस हुई है तो हल्द्वानी गन्ना समिति के अध्यक्ष सरदार प्रताप सिंह और उनके कई साथियों ने इस और पहल की है.

सरदार प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा प्रमाणित सोयाबीन के बीज जो कि यहां की भूमि के लिए टेस्ट के बाद सेलेक्ट किया गया है उसे लाकर यहां बाजपुर बरहनी जलवा कालाढूंगी और लामाचौर क्षेत्र में किसानों को देने के लिए मुहैया कराया है

बाजपुर की बराड़ सीड्स में सोयाबीन कि किस्मो जिसमें ब्लैक बोर्ड, 2024 और 2034 की किस्मों को टेस्ट किया हुआ है तथा इसके साथ ही पंतनगर के वैज्ञानिकों से भी इस किस्म के बारे में बातचीत की है ताकि यह क्षेत्र में अच्छी उपज दे सकें

सरदार प्रताप सिंह ने बताया कि यह मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा प्रमाणित है और यह इस क्षेत्र के लिए काफी लाभदायक साबित होगी उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रजातियों को बोने से किसानों की आय बढ़ेगी तथा यह सिर्फ 90 दिन में तैयार हो जाएगी

उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए यह कहा कि ज्यादा समय में तैयार होने वाली फसल में कई तरह की बीमारियां लग जाती है लेकिन यह सिर्फ 90 दिन में तैयार हो जाती है तथा कम और अधिक बारिश का उस पर बुरा असर नहीं पड़ता है जबकि उड़द में अधिक बारिश होने से वह खराब हो जाती है