51 लाख की प्रॉपर्टी खरीदी, ITR नहीं भरा तो आया टैक्स नोटिस; फिर महिला ने ऐसे पलट दी पूरी बाजी और जीत लिया केस

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मुंबई की एक महिला ने आयकर विभाग से मिली बड़ी चुनौती को अपनी समझदारी और सबूतों की ताकत से पलट दिया। मामला था 51 लाख रुपये की प्रॉपर्टी खरीदने का, जिसके बाद उन्हें अघोषित निवेश के आरोप में टैक्स नोटिस थमा दिया गया।

51 लाख की प्रॉपर्टी... - India TV Paisa

मुंबई की एक महिला ने आयकर विभाग के खिलाफ ऐसा केस जीता है, जो दूसरे टैक्सपेयर्स के लिए सीख बन सकता है। मामला ये था कि महिला ने 51 लाख रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी थी, लेकिन उस साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) नहीं भरा। इसके बाद उन्हें टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस मिला। लेकिन जब केस आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) अहमदाबाद पहुंचा, तो पूरा मामला बदल गया। ITAT ने महिला के हक में फैसला देते हुए कहा कि टैक्स विभाग ने बिना सबूतों को ठीक से जांचे सिर्फ औपचारिक तरीके से कार्रवाई की थी।

द इकोनॉमिक टाइम्स के एक खबर के अनुसार, मुंबई निवासी एक महिला को आयकर विभाग की ओर से धारा 69 के तहत अनएक्सप्लेंड इन्वेस्टमेंट यानी अज्ञात निवेश के आरोप में नोटिस भेजा गया था। विभाग का कहना था कि उन्होंने 51,92,550 रुपये की अचल संपत्ति खरीदी, लेकिन उस साल ITR फाइल नहीं किया। इस आधार पर विभाग ने धारा 148 के तहत केस फिर से खोला। यह जानकारी विभाग को रजिस्ट्री ऑफिस से मिली थी, जहां से उन्हें प्रॉपर्टी की खरीद के डॉक्यूमेंट प्राप्त हुए।

AO ने क्या कहा?

राजस्व अधिकारी (AO) के पास सेल डीड मौजूद थी, जिसमें लिखा था कि प्रॉपर्टी महिला और उनके पति संयुक्त रूप से खरीदी गई थी। लेकिन AO ने फिर भी यह मान लिया कि पूरी रकम महिला ने ही निवेश की है। उन्होंने इस निवेश को अज्ञात निवेश मानकर टैक्स और पेनल्टी दोनों लगा दीं।

महिला की दलील

महिला ने बताया कि प्रॉपर्टी उनके पति के पैसे से खरीदी गई थी और उन्होंने इसके प्रमाण के तौर पर बैंक स्टेटमेंट्स और सेल डीड की कॉपी भी दी थी। सेल डीड में यह स्पष्ट था कि सारे भुगतान चेक के जरिए अगस्त 2016 में उनके पति ने किए थे और ये भुगतान उस वित्त वर्ष में नहीं हुए थे, जिसके लिए विभाग ने नोटिस भेजा। पहले यह केस CIT (A) में गया, जहां महिला को राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अपील दायर की ITAT अहमदाबाद बेंच में और वहीं से शुरू हुआ असली ट्विस्ट।

ITAT अहमदाबाद का बड़ा फैसला

29 अक्टूबर 2025 को ITAT अहमदाबाद ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राजस्व अधिकारी (AO) के पास पहले से मौजूद तथ्यों के बावजूद उन्होंने सही जांच नहीं की। यह साफ था कि प्रॉपर्टी पति-पत्नी दोनों ने मिलकर खरीदी थी, भुगतान पहले के वित्त वर्ष में हुआ था और रकम पति के बैंक खाते से गई थी। ITAT ने कहा कि अगर महिला खुद पेश नहीं हुई, तो भी टैक्स विभाग का यह फर्ज था कि वह फाइल में मौजूद सबूतों की सही जांच करता। किसी व्यक्ति की गैरहाजिरी की वजह से उसे “अज्ञात निवेश” का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

ITAT ने क्या आदेश दिया?

ITAT ने साफ कहा कि इस मामले में विभाग की कार्रवाई पूरी तरह अनुचित थी। चूंकि निवेश न तो विवादित वर्ष में हुआ और न ही वह assessee (महिला) के फंड से किया गया, इसलिए 51,92,550 रुपये की पूरी रकम को धारा 69C के तहत हटाया जाता है। यानी विभाग द्वारा लगाया गया टैक्स और जुर्माना दोनों ही रद्द कर दिए गए।

टैक्स एक्सपर्ट्स की राय

चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुराना का कहना है कि इस केस ने एक अहम बात स्पष्ट कर दी कि अगर कोई व्यक्ति अनुपस्थित भी रहे, तब भी विभाग को रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों का मूल्यांकन करना चाहिए। केवल नॉन-अपियरेंस के आधार पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता। वहीं, टैक्स एक्सपर्ट अमित गुप्ता के अनुसार, ITAT ने यह माना कि निवेश न केवल पिछले वर्ष में हुआ था, बल्कि पूरी राशि पति ने दी थी। इसलिए इस केस में महिला पर लगाया गया टैक्स पूरी तरह अनुचित था।

आम करदाताओं के लिए सबक

यह केस बताता है कि यदि आपके खिलाफ विभाग ने गलत धारणाओं पर आधारित नोटिस भेजा है, तो सबूत और दस्तावेज सबसे मजबूत हथियार हैं। सेल डीड, बैंक ट्रांजेक्शन और भुगतान की तारीखें आपके पक्ष में पूरी कहानी बदल सकती हैं।