जहरीली शराब कांड की आरोपी बबली बनी प्रधान, पुलिस रिकॉर्ड में है फरार!
हरिद्वार में गजब हो गया है। जहरीली शराब कांड की आरोपी और पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रही एक महिला ग्राम प्रधान का चुनाव जीत गई है। हैरानी इस बात की है कि पुलिस भी बबली नाम की इस महिला को तलाश नहीं कर पाई।
हरिद्वार में पंचायत चुनाव हो रहें हैं। तमाम लोग चुनावी मैदान में हैं। इसी में से एक है बबली। बबली हरिद्वार में शिवनगर ग्राम पंचायत के प्रधान पद पर निर्वाचित घोषित हुई है। ये वही बबली है जो शिवगढ़ और फूलगढ़ में जहरीली शराब कांड की सह आरोपी है। इस शराब कांड में 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। कई लोग बीमार हुए थे। इस मामले में बबली के पति डॉ. बिजेंद्र चौहान को मुख्य आरोपी बनाया गया और
पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर बड़ी संख्या में अवैध शराब भी मिली। इसी मामले में बबली को सह आरोपी बनाया गया। पुलिस ने उसकी तलाश की लेकिन वो पुलिस को मिली नहीं। पुलिस ने उसे फरार घोषित कर दिया। इस मामले में पुलिस को विजेंद्र के भाई की भी तलाश है। दिलचस्प ये भी है विजेंद्र बीजेपी से जुड़ा रहा है। जहरीली शराब कांड इसी साल 10 सितंबर को हुआ था। उस समय भी बबली के पंचायत चुनाव की तैयारी करने की बात सबके सामने आ चुकी थी। इसके बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई।
इसी बबली ने अब पंचायत चुनाव जीत लिया है और वो प्रधान बन गई है। बताते हैं कि बबली की जगह उसके ससुर ने लोगों से वोट की अपील की थी। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि बबली की जीत में जातीय समीकरण भी काम आया। बताते हैं कि शराबकांड के बाद चौहान बिरादरी बबली के समर्थन में खड़ी हो गई थी। चौहान बिरादरी ने आरोप लगाया था कि शराब हर प्रत्याशी ने बांटी लेकिन कार्रवाई सिर्फ बबली और उसके परिवार पर हुई।
बहादराबाद ब्लॉक में हुई मतगणना में बबली के ससुर और समर्थक पहुंचे थे। मतगणना में बबली ने अपने प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी स्वाति से जीत दर्ज की। बबली को 855 और प्रतिद्वंद्वी स्वाती को 848 मत मिले लेकिन स्वाति ने री-काउंटिंग की अपील की।
इस पर प्रशासन ने दोबारा मतगणना कराई। री-काउंटिंग में बबली को 859 वोट मिले, जबकि प्रतिद्वंद्वी स्वाती को 858 वोट मिले। बबली एक वोट से स्वाति को हराकर जीत गई।
इन सबके बीच सवाल ये उठता है कि बबली के बारे में इतने समय बाद भी पुलिस को कोई भनक क्यों नहीं लगी? ऐसा कैसे हो गया कि बबली अपना नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव लड़ने तक का सफर पूरा कर गई और कानून की रक्षा करने वालों को इस बारे में सूचना भी नहीं मिली?
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