अजब गजब -भाजपा सरकार मे महिला सरपंच,पंचों की जगह उनके पतियों को दिलाई शपथ

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सागर एसकेटी डॉट कॉम


मध्य प्रदेश गजब है, ये स्लोगन कई बार जमीन पर हकीकत में देखने को मिल जाता है. इस बार अजब-गजब खेल में सरकारी तंत्र ने लोकतंत्र का ही मजाक बना दिया और इस कृत्य ने चिंता ही नहीं बल्कि सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए. दरअसल मामला चुनी हुई महिला सरपंच और महिला पंचों के शपथ लेने का है. महिलाओं की जगह उनके पतियों को बाकायदा कार्यक्रम में शपथ दिलाई गई. इतना ही नहीं इस शपथ ग्रहण समारोह में महिलाएं मौजूद ही नहीं थी.
मामला दमोह जिले के गैसाबाद पंचायत का है.

जहां त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के बाद अनुसूचित वर्ग की महिला सरपंच चुनी गई. पंचायत में करीब 11 महिला पंच भी निर्वाचीत हुईं. नियमानुसार चुनी हुई सरपंच और बाकी महिलाओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जानी थी.

जिसके लिए ग्राम पंचायत में कार्यक्रम किया गया. लेकिन जब शपथ लेने की बारी आई तो महिला पंचों की जगह गांव के सचिव ने उनके पतियों को माइक पर बुलाया और शपथ दिलाई.मामले का वीडियो सामने आया तो हड़कंप मच गया. व्यवस्था की जमीनी हकीकत सबके सामने आ गई. मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. जिला पंचायत के सीईओ अजय श्रीवास्तव ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरपंच और पंचों को फिर से शपथ दिलाने का आदेश दिया. साथ ही इस मामले की जांच का आदेश भी दिया गया.श्रीवास्तव के मुताबिक ऐसा होना नियमों के खिलाफ है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी. सारे घटनाक्रम ने ये साबित कर दिया है कि सरकारों की लाख कोशिशों के बाद भी व्यवस्था अब भी दुरुस्त नहीं है. वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में बात आने के तुरंत बाद सचिव को सूचना दी गई कि दोबारा शपथ ग्रहण कराना है. जिसके बाद सचिव धनसिंह ने आनन-फानन में देर रात महिला पंच, सरपंच को बुलाकर शपथ दिलाई.

वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा ये देश का अलग तरह का लोकतंत्र है, जहां विधायकों, सांसदों, जन प्रतिनिधियों की मंडियां लगने लगी हैं, बोलियां लगने लगी हैं. मध्यप्रदेश में इसका अलग तरह का उदाहरण है जहां जनपद खरीदे गये 25 लाख में, जिला पंचायत 2 करोड़ में , पंच खरीदे गये 5 लाख में, पति ने शपथ ले ली पत्नी की जगह ये मेरे मध्यप्रदेश में संभव है, शिवराज के राज में संभव है देश के लोकतंत्र की कैसे हत्या की जाती है उसके उदाहरण यहीं मिलेगी यहीं से निकलकर पूरे देश में जा रही है. इस मामले में हम जवाब मांगने राज्य चुनाव आयोग पहुंचे तो पंचायत विभाग का पता दिया गया, पंचायत विभाग में जवाब देने कोई मिला नहीं, खैर जवाब तो यही है कि सरकारी तंत्र ने लोकतंत्र का ही मजाक बना दिया है.