पिटकुल झाझरा में आग लगने का मामला, सवालों के घेरे में आई जांच
पिटकुल के झाझरा में स्थित सब स्टेशन में 19 जुलाई को आग लगने का मामला सामने आया था। घटना के बाद से आसपास के लोगों में हड़कंप मच गया था। हालांकि आग लगने से किसी भी कर्मचारी के साथ कोई भी अनहोनी नहीं हुई थी। घटना के बाद पिटकुल के एमडी ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था।
सवालों के घेरे में आई जांच
बताते चले जांच कमेटी के अधिकारियों में एचएस ह्यांकी (मुख्य अभियन्ता), अनुपम सिंह (मुख्य अभियन्ता गढ़वाल क्षेत्र) एवं डीपी सिंह अधीक्षण अभियंता को बनाया गया है। ये कमेटी 15 दिनों के भीतर अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रबंध निदेशक सौंपेगी। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो कमेटी के जांच अधिकारियों पर भी कई सवालिया निशान उठने लगे हैं।
जांच अधिकारीयों पर उठ रहे ये सवाल
जिन अधिकारियों को जांच अधिकारी बनाया गया है। उन्हीं की जिम्मेदारी थी कि विद्युत निर्माण कार्यों से संबंधित उपकरणों की गुणवत्ता का परीक्षण, विद्युत इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण और विद्युत प्रदर्शन परीक्षण नियमित रूप से करते रहे।
ऐसी किसी घटना की जांच तीन एजेंसियों पावर ग्रीड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल), सेंट्रल इलेक्ट्रीसीटी ऑथोरिटी इंडिया (सीईए) या सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट बैंगलोर (सीपीआरआई) में से किसी एक से करवाई जाती है।
आग लगने के कारणों की जांच विभागीय अधिकारियों को ही सौंप दी गई है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह जांच पारदर्शी तरीके से हो पायेगी?
पूर्व में भी सामने आ चुकी है इस तरह की घटना
अचानक लगी भीषण आग को जानबूकर रचा गया षड़यंत्र भी माना जा रहा है। बतातें चले ये कोई पहली घटना नहीं है। तीन माह पहले भगवानपुर से इसी तरह की घटना सामने आई थी। प्रदेश सरकार को समय रहते इस तरह की घटनाओं पर संज्ञान लेने की जरुरत है।
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