क्या है भारत-पाकिस्तान के बीच Indus Waters Treaty? कब हुआ था शुरू? आसान भाषा में जानें


What is Indus Water Treaty (Sindhu Jal Samjhauta Kya Hai): कश्मीर के अंदर पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कई बड़े फैसले लिए है। जिसमें से एक फैसला है पाकिस्तान के साथ सिंधु जल (sindhu river) समझौते(Indus Waters Treaty) पर रोक।
बीते दिन यानी 23 अप्रैल की शाम को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मिटिंग हुई। जिसमें कई बड़े एहम फैसले लिए गए। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये सिंधु जल समझौता है(Sindhu Jal Samjhauta Kya Hai) क्या? चलिए इस समझौते के बारे में विस्तार से इस आर्टिकल में समझते है।
क्या है Indus Waters Treaty (IWT) ? Sindhu Jal Samjhauta Kya Hai
सितंबर साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच IWT यानी की Indus Waters Treaty को साइन किया था। ये हस्ताक्षर नौ वर्षों की बातचीत के बाद किए गए थे। वर्ल्ड बैंक इस संधि का हस्ताक्षरकर्त्ता था। इस संधि में ये निर्धारित किया गया कि सिंधु की छह नदियों के जल को दोनों देशों के बीच कैसे बांटा जाएगा।
सिंधु जल समझौते में कौन सी नदियां शामिल हैं?
Sindhu Jal Samjhauta में सिंधु नदी(sindhu river) और उसकी पांच सहायक नदियां सतलज, रावी, ब्यास, चिनाब और झेलम शामिल है।सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच सिंधु और उसकी पांच सहायक नदियों के पानी के बंटवारे और उपयोग को लेकर सहयोग और जानकारी साझा करने की व्यवस्था तय करता है।

इस समझौते में किसको कितना पानी मिलता है?
सिंधु जल संधि के मुताबिक पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के अप्रतिबंधित जल उपयोग के लिए दी गई। जबकि तीन पूर्वी नदियां—रावी, ब्यास और सतलज भारत को आवंटित की गई थी। जिसमें भारत कुछ सीमित कृषि और घरेलू उपयोग भी कर सकता है।
आसान भाषा में समझें तो सिंधु जल समझौते में पाकिस्तान के पास पानी का 80% हिस्सा तो वहीं भारत के पास बाकी का 20% जल उपयोग के लिए चला गया।
भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल आयोग की बैठक
सिंधु जल समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्थायी सिंधु आयोग बनाया गया था। जिसमें दोनों देशों के आयुक्त शामिल होते हैं। इस आयोग को हर साल कम से कम एक बार नियमित बैठक करना जरूरी है, ताकि जल बंटवारे से जुड़ी बातों पर चर्चा हो सके
सिंधु के पानी को रोकने और स्टोरेज पर थी रोक
बता दें कि पाकिस्तान के पास झेलम, चिनाब और सिंधु के पानी का अधिकार है। सिंधु जल समझौता (IWT) के अनुलग्नक C में भारत के पास कुछ कृषि उपयोग की पर्मिशन है। तो वहीं अनुलग्नक D के तहत भारत ‘रन ऑफ द रिवर’ जलविद्युत परियोजनाएं बना सकता है। यानी भारत इन नदियों का पानी रोक नहीं सकता और न ही स्टोरेज बना सकता है। पानी सिर्फ बहाव में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सिंधु जल समझौते से जुड़ी कुछ और अहम बातें
- साल 1960 में 19 सितंबर को सिंधु जल समझौते पर साइन किया गया था।
- संधि छह नदियों को लेकर हुई जिसमें पूर्वी नदियां ब्यास, रावी और सतलुज और 3 पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब हैं।
- इस समझौते में 20% पानी भारत तो वहीं 80% पानी पाकिस्तान को जाता है।
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