अवैध मदरसों पर कार्रवाई से कांग्रेस बेचैन, BJP ने किया विपक्ष पर हमला
अवैध मदरसों पर कार्रवाई से कांग्रेस बेचैन, BJP ने किया विपक्ष पर हमला

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता बिपिन कैंथोला ने अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई के हरदा विरोध को उनकी दुखती रग बताया है. कैंथोला ने कहा कि हरीश रावत जानते हैं कि जांच आगे बढ़ेगी तो तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले कई कांग्रेसी नेता इसकी आंच में आने वाले हैं.
BJP ने कसा हरदा पर तंज
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बिपिन कैंथोला ने पूर्व सीएम हरीश रावत के किए विरोध पर सवाल किया कि वे अवैध मदरसों की जांच करवाने से क्यों भयभीत हैं. एक तरफ अवैध मदरसों को बंद करने को लेकर धामी सरकार शानदार काम कर रही है. जिससे देवभूमि के निवासियों में उत्साह का माहौल है, लेकिन न जाने क्यों हरीश रावत को दर्द हो रहा है. उनके बयानों में झलक रही पीड़ा यह बताने में काफी है कि आज भी हरदा, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
जांच से परेशान हैं हरदा : BJP
कैंथोला ने जोर देते हुए कहा कि हरदा तब से अधिक भयभीत हो गए हैं जबसे उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अवैध मदरसों के संचालन के लिए की जाने वाली फंडिंग पर जांच की घोषणा की है. क्योंकि हरदा को लगता है कि कहीं जांच की आंच उनके किसी करीबी या उनकी पार्टी के किसी नेता तक न पहुंचे. जिन्हें बचाने के लिए हरीश रावत कवर फायरिंग करते हुए नजर आ रहे हैं.
कई लोगों के चेहरे होंगे बेनकाब : BJP
कैंथोला ने कहा कि अवैध मदरसों की फंडिग पर जांच होने से उत्तराखंड के अंदर बहुत सारे लोगों के चेहरे भी बेनकाब होंगे. इससे जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि वे कौन लोग हैं जो उत्तराखंड के देवभूमि स्वरूप से खिलवाड़ के पक्ष में हैं. बता दें बीते दिन पहले सीएम धामी ने अवैध मदरसों में विदेशी फंड की आशंका को देखते हुए जाँच के आदेश दिए हैं.
अवैध मदरसों पर हो रहे एक्शन का किया था हरदा ने विरोध
बता दें अवैध मदरसों पर चल रहे एक्शन पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा था कि धामी सरकार आजकल अवैध मदरसों की बात बहुत कहने लगे हैं. एक दिन अचानक भाजपा को लगता है कि आजकल कुछ उन्होंने मदरसा, मजार, लव जिहाद नहीं कहा तो वह मदरसा-मदरसा, अवैध मदरसा कहने लग गए हैं. यह अवैध तो तब होते जब इन्होंने अप्लाई नहीं किया होता.
हरदा ने कहा सरकार के पास लोगों ने विधिवत अर्जियां ही नहीं लगाई बल्कि सारी फॉर्मेलिटीज पूरी करके दी हैं. 8-10 सालों से यदि प्रशासन उन अर्जियों पर सोया रहेगा, अनुमति नहीं देगा और उधर बच्चों पर पढ़ाई का दबाव रहेगा तो अस्थाई तौर पर लोग मदरसे खोलेंगे. हरदा ने आगे कहा कि अवैध तो तब होते जब उन्होंने आवेदन ही नहीं किया होता. आप उन पर दंड लगा सकते हैं, लेकिन उनको अवैध मदरसे नहीं कह सकते हैं.
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