86 छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं दे पाएंगे 12वीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा
देहरादून ।यहां आज के समय मे बच्चों के भविष्य के साथ खेला जा रहा हे ऐसा ही मामला इंटरनेशनल स्कूल ने 86 छात्रों का हैं जो सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा से वंचित कर दिया।86 छात्रों का बदला डाटा, नहीं दे पाएंगे परीक्षा, बाल आयोग ने दिए केस दर्ज करने के आदेशलूसेंट इंटरनेशनल स्कूल का यह फर्जीवाड़ा सीबीएसई क्षेत्रीय अधिकारी के एक आदेश से खुला। स्कूल ने जिन 245 छात्रों को पंजीकृत दिखाया था, उनमें से 86 छात्रों का डाटा ही बदल दिया।आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई में स्कूल ने चेयरमैन या प्रिंसिपल के बजाए एक विज्ञान शिक्षक को भेजा, जिसके पास कोई अनुमति नहीं थी। वहीं, सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह और खंड शिक्षा अधिकारी कुंदन सिंह पहुंचे।मामले की गंभीरता को देखते हुए बाल आयोग ने डीजीपी अशोक कुमार को फोन कर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। पीड़ित छात्रों को ओपन बोर्ड से 12वीं की परीक्षा दिलाने को कहा। वहीं, ऐसे अन्य मामलों की जांच के लिए शिक्षा विभाग को जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।
कितने स्कूलों की कोचिंग सेंटरों से सांठगांठ, होगी जांच
राजधानी में पिछले पांच साल में कितने नए स्कूल खुले और कितनों की कोचिंग सेंटरों से सांठगांठ है, अब इसकी जांच होगी। बाल आयोग ने लूसेंट इंटरनेशनल स्कूल मामले पर आदेश देते हुए शिक्षा विभाग को भी जांच के निर्देश दिए हैं।
राजधानी की एजुकेशन हब की पहचान को पिछले कुछ वर्षों से निजी स्कूल और कोचिंग सेंटर मिलकर बट्टा लगा रहे हैं। छात्र किसी कोचिंग में दाखिला लेता है तो वहीं उसे स्कूल का एडमिशन भी मिल जाता है। वह पूरे साल कोचिंग सेंटर में गुजारता है और स्कूल में उसका पंजीकरण चलता है।
बोर्ड एग्जाम देता है। सीबीएसई नियमों को ठेंगा दिखा रहे इन स्कूलों की पोल अब खुल सकती है।
बाल आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि एक जांच समिति गठित कर इस सांठगांठ का पर्दाफाश किया जाए। जो भी अवैध तरीके से स्कूल संचालित कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।
2019 के फर्जीवाड़े में भी चल रही स्कूल की जांच
लूसेंट इंटरनेशनल स्कूल का यह पहला फर्जीवाड़ा नहीं है। दाखिलों में गड़बड़ी से संबंधित एक अन्य अनियमितता की जांच शिक्षा विभाग के स्तर पर वर्ष 2019 से चल रही है। आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है।
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