विस बैकडोर भर्ती मामले में हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

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नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों का संज्ञान लेते हुए सरकार का जवाब तलब किया है। देहरादून के रहने वाले समाजसेवी अभिनव थापर ने इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में इंटरनेट मीडिया, समाचार पत्रों व मीडिया में उजागर उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता को आधार बनाया है।


याचिका में कहा गया है कि सरकार ने एक जांच समिति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया लेकिन घोटाला राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था। अपने करीबियों को नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराई जाए।


याचिकाकर्ता के अनुसार सरकार ने 2003 के तदर्थ नियुक्ति पर रोक के शासनादेश के अलावा संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 की नियमावली का उल्लंघन किया है।
याचिका में राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में करने व भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूली कि मांग भी की गई है।


याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी हैं। इससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा हुआ है। यह सरकारों का जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है और वर्तमान सरकार भी दोषियों पर कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है।


सरकार को देना होगा जवाब
इस याचिका के प्रकाश में अब कोर्ट ने सरकार से जवाब मांग लिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है। सरकार को चार हफ्तों के भीतर अपना जबाव दाखिल करना होगा।