ब्रेकिंग-कोर्ट में खुलासा: राहुल गांधी की महारैली के दौरान वोट चोरी करते रंगेहाथ पकड़ा गया आरोपी,IPS जांच में सनसनीखेज खुलासा: बीजेपी के पूर्व विधायक पर वोट चोरी गैंग चलाने का आरोप
एक ओर जहां दिल्ली के ऐतिहासिक मैदान में राहुल गांधी की अगुवाई में- वोट चोर, गद्दी छोड़ महारैली- हो रही है तो वहीं दूसरी ओर रैली के बीच में बीजेपी बुरी तरह से वोटचोरी के मामले को लेकर बेनकाब हो गई।
: एक ओर जहां दिल्ली के ऐतिहासिक मैदान में राहुल गांधी की अगुवाई में- वोट चोर, गद्दी छोड़ महारैली- हो रही है तो वहीं दूसरी ओर रैली के बीच में बीजेपी बुरी तरह से वोटचोरी के मामले को लेकर बेनकाब हो गई।
आईपीएस ऑफिसरों की चली तगड़ी जांच में पाया गया है कि बीजेपी के एक एक्स एमएलए साहब वोटचोरी का पूरा गैंग चला रहे थे। जैसे ही ये खबर आई है हड़कंप मच गया है, एक ओर जहां ज्ञानेश कुमार के इलेक्शन कमीशन की सिट्टी पिट्टी गुम है तो वहीं कोर्ट में पूरा मामला भी सम्मिट हो गया है। कैसे राहुल गांधी की महारैली के बीच सबूतों के साथ बीजेपी की वोटचोरी पकडे़ जाने का दावा सामने आया है और कैसे इसमें बीजेपी विधायक का नाम सामने आ रहा है, ये हम आपको आगे इस रिपोर्ट में बताएंगे।
दिल्ली में वोटचोर गद्दी छोड़ महारैली में देश के कोने कोने से लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हैं और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरेग समेत कई राज्यों के सीएम स्टेज पर मौजूद हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि रैली में एक दो नहीं बल्कि एसआईआर के खिलाफ पांच करोड़ लोगों के शपथ पत्र भी मौजूद हैं और आज ये शपथ पत्र कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति से मिलकर उनको सौंपेगा और उनसे एसआईआर को रोके जाने की डिमांड करेगा।
हालांकि इस बीच पीएम साहब की वोट चोरी के दावों के बीच विदेश जाने की तैयारी शुरु हो चुकी है। कल ही वो विदेश यात्रा पर निकल जाएंगे लेकिन आपको बता दें कि इस दोनों मामलों के बीच वोटचोरी का बहुत बड़ा मामला पकड़ा गया है। और सबसे बड़ी बात यह है बीजेपी के पूर्व विधायक पूरी तरह से आरोपी बताए जा रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक का आलंद केस एक बार फिस से सुर्खियों में आ गया है। आपको बता दें कि साल 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले, अलंद में 5,994 वोटर्स के नाम लिस्ट से हटा दिए गए।
आरोप था कि ये काम जानबूझकर किया गया, ताकि कुछ पार्टियां फायदा उठा सकें। एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, ने जांच की और अब चार्जशीट दाखिल की है। इसमें पूर्व बीजेपी एमएलए सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटे हर्षनंद गुट्टेदार, और 5 अन्य लोगों के नाम हैं। चार्जशीट 22 हजार पन्नों की है – सोचिए, कितना बड़ा सबूत होगा!
आपको बता दें कि अलंद कर्नाटक के कलाबुरागी जिले में एक छोटा सा विधानसभा क्षेत्र है। यहां की राजनीति हमेशा गर्म रही है।
2018 में बीजेपी के सुभाष गुट्टेदार एमएलए बने, लेकिन 2023 में कांग्रेस के बी आर पाटिल ने जीत हासिल की। लेकिन चुनाव से पहले क्या हुआ? राहुल गांधी ने दावा किया कि 2022-2023 में 5,994 वोटर्स के नाम डिलीट किए गए, और ये ज्यादातर कांग्रेस समर्थक थे। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डेटा दिखाया – इसमें आईपी एड्रेस, डिलीटेड नामों की लिस्ट, सब कुछ शामिल था।
वैसे तो आमतौर पर, अगर कोई वोटर मर जाता है, या जगह बदलता है, तो नाम हटाया जाता है। लेकिन यहां आरोप था कि ये गैरकानूनी तरीके से किया गया। एसआईटी की जांच से पता चला कि एक ओटीपी बायपास टूल इस्तेमाल किया गया। ओटीपी यानि कि वन टाइट पासवर्ड जो सिक्योरिटी के लिए आता है। लेकिन आरोपी ने इसे बायपास करके ईसीआई के ऑनलाइन सिस्टम में घुसपैठ की और नाम हटाए गए।
एसआईटी टीम की जो जांच रिपोर्ट में उसमें दावा किया गया है कि मुख्य आरोपी सुभाष गुट्टेदार, जो चार बार एमएलए रह चुके हैं। उनके बेटे हर्षनंद, उनका पीए टिप्पेरुद्रा, कलाबुरागी के तीन डेटा सेंटर ऑपरेटर्स – अकरम पाशा, मुकरम पाशा, मोहम्मद अशफाक, और पश्चिम बंगाल के एक युवक बापी अद्या, जो ओटीपी बायपास प्रोवाइड करने का आरोपी है। एसआईटी ने कहा कि ये सब मिलकर एक सिस्टेमेटिक तरीके से काम कर रहे थे।
ईसीआई दावा करता है कि कोई भी डिलीशन बिना नोटिस और सुनवाई के नहीं होता। 2013 में भी ऐसी कोशिश हुई थी, लेकिन पकड़ी गई। ईसीआई ने राहुल के आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया था लेकिन एसआईटी की 22 हजार पन्नों की चार्जशीट में ईसीआई से मिले डेटा शामिल हैं जिसमें आईपी एड्रेस, लॉग्स, सब कुछ शामिल है। ये दिखाता है कि जांच गंभीर है। आपको बता दें कि ये केस 2023 चुनावों से जुड़ा है, जब कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाई। लेकिन वोट चोरी के आरोप ने बीजेीको निशाने पर ला दिया।
क्या ये सिर्फ लोकल लेवल का फ्रॉड था, या बड़ा कंस्पिरेसी?वोटर लिस्ट से किसी को नाम कटाने के लिए फार्म सात भरने की जरुरत पड़ती हैं अगर आप ऑफ लाइन कराते हैं तो ठीक लेकिन अगर अगर ये काम ऑनलाइन होता है तो इसमें वोट डिलीशन के लिए संबंधित लोगों के आधार से लिंक मोबाइल नंबर और ओटीपी की जरुरत पड़ती है। और एसआईटी जांच में जो तथ्य पाए गए हैं वो ऑन लाइन वोट डिलीशन से ही जुड़ी है।
इसके तार अमेरिका से जुडे होने की बात पहले ही एसआईटी बता चुकी है। असल में अमेरिका की वेबसाइट एसएमएस अलर्ट डाट काम वर्चुअल सिम कार्ड बेचती है। ये वर्चुअल सिम असली भारतीय मोबाइल नंबरों की डुप्लीकेट कॉपी बनाते हैं। जब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर किसी वोटर के नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है, तो वह ओटीपी असली फोन के साथ-साथ एसएमएस अलर्ट के वर्चुअल सिम पर भी आ जाता है। असली फोन मालिक को समझ नहीं आता कि अचानक चुनाव आयोग का ओटीपी क्यों आया, क्योंकि उन्होंने खुद कुछ रजिस्टर नहीं किया होता है।
दूसरी तरफ ओटीपी बाजार डाट काम के जरिए ये ओटीपी रियल-टाइम में कलबुर्गी के डेटा सेंटर को मिल जाता था। डेटा सेंटर से फिर हजारों फर्जी आवेदन डाले जाते थे कि फलां-फलां वोटर का नाम हटाया जाश्। हर की कीमत सिर्फ 700 रुपये वसूल की जाती हैे। द इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कलबुर्गी डेटा सेंटर के संचालक हर व्ज्च् के लिए ओटीपी को 700 रुपये ट्रांसफर करते थे। बंगाल का बापी आद्य यह पैसा अपने इंडसइंड बैंक खाते में लेता था, फिर छोटा-सा कमीशन रखकर बाकी क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट से एसएमएस अलर्ट को भुगतान कर देता था।
13 नवंबर को एसआईटी ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के घुगरागाछी-हंसखाली इलाके से 27 साल के बापी आद्य को गिरफ्तार किया। वह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी। पहले मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाने वाला बापी लगातार ऑनलाइन रहता था और उसे एसएमएस अलर्ट के बारे में पता चला। उसने कमीशन के लालच में भारत में इसका इंटरफेस बनाकर ओटीपी बाजार डाट काम के नाम से वेबसाइट शुरू कर दी। बहरहाल, बुधवार को 14 दिन की एसआईटी कस्टडी पूरी होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
एसआईटी जांच में यह भी पाया गया था कि कुल 72 वास्तविक भारतीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया। ये नंबर 17 अलग-अलग राज्यों के लोगों के थे। इनके ज़रिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लॉग-इन कर 5994 वोटरों के नाम हटाने के लिए 3000 से ज्यादा फर्जी आवेदन डाले गए थे।
और अब पूरी फाइनल रिपोर्ट एसआईटी ने कोर्ट में सम्मिट कर दी है। आपको बता दें कि जो डेटा मिले हैं उसमें से 20 पेज सिर्फ और सिर्फ चुनाव आयोग के डेटा से संबंधित बताए जा रहे है और सीधे बीजेपी के पूर्व एमएलए और उनके लड़के का नाम जुड़ने से कहीं न कहीं बीजेपी भी सवालों के घेरे में आ गइ्र है।
क्योंिक जिस कॉल सेंटर से लगभग 6 हजार वोटर डिलीट किए गए थे एसआईटी का दावा है कि ये बीजेपी पूर्व विधायक के इशारे पर चल रहा था। ऐसे में साफ है कि एक ओर जहां रामलीला मैदान में वोटचारी पर महारैली हो रही है और राहुल गांधी पूरे देश के सामने वोटचोरी और एसआईआर का मुद्दा रख रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर वोटचोरी रंगेहाथ पकड़ी भी गई है। लेकिन जिस तरह से बीजेपी राहुल गांधी की रैली से छटपटाई दिख रही है, उससे तो लगता है कि कहीं न कहीं कुछ न कुछ गड़बड़ है।
कल से रामलीला मैदान की रैली को लेकर बीजेपी के लागातार कमेंट आ रहे हैं लेकिन उनके पूर्व विधायक पर सरेआम वोटचोरी का आरोप लगा है, उस पर किसी नेता का कोई बयान अभी तक नहीं आया है। क्यों, क्योंकि बीजेपी कहीं न कहीं आरोपों के बाद कटघरे में खड़ी है। क्योंकि काबिल आईपीएस अफसरों ने इसकी जांच की है और जिस तरह से 22 हजार पन्ने की बहुत बड़ी रिपोर्ट तैयार की है, उसमें कहीं न कहीं कोई बड़ी सच्चाई तो जरुर छिपी होगी।
ऐसे में अगर ये मान भी लिया जाए कि वहां कांग्रेस की सरकार है और कुछ बीजेपी के खिलाफ काम किया होगा लेकिन जिस तरह से ओटीपी वाला सिस्टम एसआईटी ने खोलकर बताया है, उससे तो साफ है कि अंदरखाने में कुछ न कुछ बहुत गड़बड़ चल रहा है। अब सवाल यह है कि ये सिर्फ आलंद और कुलबर्गी तक ही सीमित है या फिर ये पूरे देश में हो रहा है और अगर ये कहानी देश के अन्य हिस्सों में भी है तो फिर मामला बहुत ही गंभीर है लेकिन क्योंकि अभी सिर्फ कुलबर्गी और आलंद की जांच हुई तो आगे के बारे में बहुत कुछ कहना उचित नहीं होगा, लेकिन ये बात भी है कि ये अलंद का फ्रॉड हमारे लिए एक संदेश है। और राहुल की रैली यह दिखा रही है कि लड़ाई अभी जारी है।
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