ब्रेकिंग-पाकिस्तान को लंगड़ा कर देता ‘भारत का दोस्त’, किसकी ‘हां’ के इंतजार में बच गया जिन्ना का देश?

भारत के दोस्त ने पाकिस्तान के पीछे ‘खूखांर एजेंट’ छोड़ दिए थे और इस देश को लंगड़ा करने की पूरी प्लानिंग तैयार थी. हालांकि, ऐन वक्त पर एक शख्स की ‘हां’ की वजह से सारी प्लानिंग पर पानी फिर गया था.
दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी के निशाने पर एक वक्त पर पाकिस्तान भी था. जिन्ना के देश के खिलाफ पूरी प्लानिंग तैयार थी, जिसके बाद पाकिस्तान का लंगड़ा होना तय था. ‘भारत के दोस्त’ इजरायल ने मोसाद के खूखांर खिलाड़ियों को भारत के धूर्त पड़ोसी के पीछे छोड़ दिया था. हालांकि, ऐन वक्त पर कुछ ऐसा हो गया, जिसकी वजह से इतिहास पलटते-पलटते रह गया. इस पूरे वाकये का खुलासा एक एक्स इंटेलीजेंस एजेंट ने किया था. उन्होंने बताया कि आखिर किसकी वजह से पाकिस्तान की तबाही टल गई थी.
पाकिस्तान को लंगड़ा कर देता ‘भारत का दोस्त’, कैसे बच गया जिन्ना का देश
लंगड़ा होते-होते कैसे बचा पाकिस्तान
पाकिस्तान के हाथ-पैर तोड़ने की प्लानिंग
दरअसल, अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने भारत और इजरायल के खुफिया मिशन पर खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि 1980 के दौरान भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने मिलकर पाकिस्तान के हाथ-पैर तोड़ने की तैयारी कर ली थी. पूरी तहकीकात करके एक खाका तैयार किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के कहूटा स्थित परमाणु संयंत्र पर हवाई हमले की योजना बनाई गई थी.
किसकी हां नहीं मिली?
ये वही परमाणु फैसिलीटी थी, जिसने पाकिस्तान को न्यूक्लियर पावर बनाने की नींव रखी थी. 1998 में पाकिस्तान ने पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था. ‘भारत का दोस्त’ पूरी तरह तैयार था लेकिन रिचर्ड बार्लो के मुताबिक उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान पर हमले की इजाजत नहीं दी थी. उनकी एक हां की वजह से ये मिशन बीच में ही रोक दिया गया था.
‘तो खत्म हो जाती मुसीबतें’
CIA के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो इस पर अफसोस करके हुए कहते हैं कि अगर उस मिशन को मंजूरी मिली होती तो आज कई समस्याओं का हल अपने आप ही निकल गया होता. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की किस्मत का साथ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन ने भी दिया, जो परमाणु फैसिलीटी पर अटैक के खिलाफ थे क्योंकि तब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका का मिशन चल रहा था और उसमें बाधा पैदा हो सकती थी.
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