उत्तराखंड में कुछ इस तरह मनाया जाता है भाईदूज , बहनें नहीं करती तिलक बल्कि… Uttarakhand Bhai Dooj


How Bhai Dooj is Celebrated in Uttarakhand: उत्तराखंड में भाईदूज का पर्व बड़े ही खास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सिर पर टिका नहीं लगाती बल्की उसे च्यूड़े चढ़ाती हैं। अब ये च्यूडे हैं क्या?, और भाईदूज के दिन यहां ओखल की पूजा क्यों होती है आइए जानते हैं।
How Bhai Dooj is Celebrated in Uttarakhand: उत्तराखंड में कुछ इस तरह मनाया जाता है भाईदूज
उत्तराखंड में भाई दूज मनाने का तरीका और जगहों से बिल्कुल अलग और खास है। भाईदूज पर यहां मख्य रुप से चूड़ा पूजन होता है पहले समझते हैं ये चूड़ा क्या है? दरअसल च्यूड़े धान से बनाए जाते हैं। उत्तराखंड के कुमाउं इलाके में दीवाली से करीबन तीन या पांच दिन पहले ही धान को पानी में भिगो दिया जाता है फिर गोवर्धन पूजा के दिन इन भीगे हुए धान को गर्म तेल की कढ़ाई में भूना जाता है। जिसके बाद बन जाते हैं स्वादिष्ट च्यूडे।
तिलक नहीं बल्कि च्यूडे चढ़ाती हैं बहनें
बता दें की उत्तराखंड में इस ओखल की भी पूजा की जाती है। लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जिस तरह ये ओखल साल भर अनाज से भरा रहता है, उसी तरह उनका घर भी पूरे साल अन्न से भरा रहे। घर में कभी अनाज की कमी न हो, हमेशा बरकत बनी रहे।
पहले भगवान को चढ़ाया जाता है चूड़ा
इस दिन सुबह नहा-धोकर पहले भगवान को चूड़ा चढ़ाया जाता है। फिर बहन अपने भाई के सिर पर चूड़ा रखती है और सरसों के तेल को दूब घास से लगाती है। ताकि भाई की उम्र लंबी हो और वो हमेशा खुश रहे। और सबसे मजेदार बात कहते हैं की यमराज भी इस दिन अपनी बहन यमुना के घर चूड़ा पूजने जाते हैं
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