मोदी सरकार का एक और बडा फैसला जनता को राहत या चुनावी भय !

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दिल्ली एसकेटी डॉट कॉम

केंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लेते हुए खाद्य तेलों से आयात शुल्क हटाने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से निश्चित रूप से खाद्य तेलों में गिरावट आने की संभावना है इससे लोगों को सरसों तेल तथा अन्य तिलहनों के तेलों के रेटों में कमी आएगी

जिससे निश्चित रूप से सरसों का तेल जो 200 के पार पहुंच चुका था उसे अब कुछ कम मिल सकेगा। दिवाली के बाद लिए गए इस निर्णय से आम लोगों में एक प्रतिक्रिया भी आ रही है एक ओर जहां कुछ लोग कह रहे हैं की सरकार ने यह फैसला ठीक लिया है लेकिन फैसला लेते लेते काफी देर कर दी ।

महंगाई की मार से जूझ रहे आम आदमी को अब थोड़ा बहुत राहत तो मिलेगी लेकिन कोरना काल के बाद कामकाज ठप्प होने की वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था अब जब त्योहारी सीजन निकल गया है इसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। जमाखोरों को पूरा मुनाफा मिल गया है इसके बाद सरकार ने आयात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है अगर यह निर्णय कुछ समय पूर्व यानी कि त्योहार से पहले लिया जाता तो निश्चित रूप से लोगों को जरूर राहत मिलती।

वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का यह कहना है कि तीन चार राज्यों में हुए उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद सरकार ने गहन मंथन कर यह निर्णय लिया कि महंगाई की वजह से लोग उससे दूर होते जा रहे हैं कुछ ना कुछ उपाय करना होगा ताकि लोग उनकी पकड़ से बाहर ना जा पाए।

लोगों का यह भी कहना है कि जिस तरह से हिमांचल राजस्थान में भाजपा को हार झेलनी पड़ी उससे निश्चित रूप से सरकार के कान खड़े हो गए इससे ठीक पहले पेट्रोलियम पदार्थों पर भी सरकार ने दाम घटाए जो कि अब तक के सबसे ज्यादा घटाए गए दाम है हालांकि अब जनता को कुछ राहत जरूर मिलेगी लेकिन किसान अपनी फसल के लिए काम कर चुका था और उसने महंगा डीजल और पेट्रोल खरीदा जिसकी वजह से उसकी तो पहले ही कमर टूट चुकी थी अब जब खेती का काम समाप्त की ओर है उससे निश्चित रूप से फायदा तो हुआ लेकिन अगर यह कुछ समय पूर्व कर दी जाती तो किसान को ज्यादा फायदा होता।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपचुनाव में मिली हार की वजह से और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के महंगाई पर दिए गए बयान के बाद सरकार ने आतन्म मंथन करते हुए पहले पेट्रोलियम पदार्थों अब खाद्य तेलों से आयात शुल्क हटाया है। इसे राजनीतिक निर्णय बताया गया है। इस निर्णय के बाद आने वाले पांच राज्यों में चुनाव के तहत सरकार और पार्टी यह कह सकेगी कि उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों और खाद्य तेलों के दाम भी घटाएं हैं महंगाई का मुद्दा विपक्षी पार्टियों के हाथों से छीन लिया जाए इसलिए भी यह निर्णय लिया गया है।