अग्निपथ ब्रेकिंग खुलासा -हिंसा में 25% ऐसे युवा थे, जो न सेना की तैयारी कर रहे थे और न भर्ती की उम्र बची थी

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पश्चिमी चंपारण के सजियार गांव का चंदन कुमार महतो। उम्र है 30 साल। चंदन सेना में जाने की कोई तैयारी नहीं कर रहा है। उसकी उम्र भी सेना भर्ती की नहीं बची थी, लेकिन 17 जून को दोपहर में लगभग दो बजे दानापुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चंदन को पुलिस ने 5 फुट के लोहे के रॉड के साथ पकड़ा। वह तोड़फोड़ कर रहा था। पुलिस का कहना है कि सगुना मोड़ की तरफ से एक से डेढ़ हजार लोग लाठी-डंडा और लोहे की रॉड लेकर आए थे, उसमें चंदन भी शामिल था। उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

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चंदन के पिता बुन्नी महतों की माली हालत ठीक नहीं है। खेती-किसानी करके जैसे-तैसे बेटे को प्रतियोगी तैयारी के लिए पटना भेजा था। अब उसे छुड़ाने के लिए कोर्ट और थाने का चक्कर काट रहे हैं। पिता बुन्नी का कहना है कि थाना से फोन आया तो पता चला कि उनका बेटा ट्रेन तोड़ रहा था। घर वालों का कहना है कि उनका बेटा ऐसा नहीं था, वह किसी का साथ पाकर ऐसी घटना कर दिया है।

सिर्फ चंदन ही नहीं, दानापुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन फूंकने और आगजनी करने वालों में 25% युवा 24 साल से ज्यादा उम्र के हैं। यानी इनकी उम्र न सेना भर्ती के लिए नहीं बची है और न ही वे सेना की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। वीडियो फुटेज के आधार पर चल रही छापेमारी में भी सेना के नहीं बल्कि आंदोलन के फर्जी अग्निवीर बेनकाब हो रहे हैं। बिहार पुलिस ने 16 से 20 जून तक राज्य में 161 मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें 922 लोगों की गिरफ्तारी की गई है।

राज्य को पूरे देश में चर्चा में लाने वालों में अब कोचिंग सेंटरों की भूमिका साफ हो गई है। पुलिस की गिरफ्त में आए लोगों में भी सेना में एंट्री की उम्र पार करने वालों की संख्या अधिक है। इतना ही नहीं जिन कोचिंग संचालकों और उनके स्टूडेंट्स का नाम पुलिस रिकॉर्ड में आया उनका भी सेना में एंट्री से कोई लेना देना नहीं।

आंदोलन के लिए फोन कर बुलाया गया

पटना के शाहपुर थाना के रहने वाले 26 साल के आजाद कुमार को फोन कर बुलाया गया था। एक स्थानीय कोचिंग से फोन आया था, जिसमें आंदोलन में शामिल होने की बात कही गई थी। आजाद कुमार आंदोलन में शामिल होने के लिए सुबह ही दानापुर आ गया था। सगुना मोड़ के पास सुबह 10 बजे पहले खाना-पीना हुआ। इसके बाद वह लड़कों की भीड़ के साथ दानापुर स्टेशन पहुंच गया। आंदोलन में हिंसक प्रयास करते हुए पकड़ा गया आजाद भी सेना की तैयारी नहीं करता है। पहले भी वह सेना में भर्ती होने को लेकर कोई प्रयास नहीं किया है।

दानापुर पुलिस के मुताबिक उसे 17 जून को दानापुर रेलवे स्टेशन से 2 बजकर 10 मिनट पर पकड़ा गया। वह हिंसक आंदोलन का हिस्सा था और ट्रेन की बोगियों के साथ प्लेटफार्म पर तोड़फोड़ कर रहा था। पुलिस के मुताबिक आजाद के पिता सुरेंद्र राय दाउदनगर शाहरपुर में रहते हैं, वह काफी सामान्य किसान हैं। ऐसे कांड में बेटे की गिरफ्तारी के बाद से पूरा परिवार सदमे में है।

दोस्तों के साथ आंदोलन का हिस्सा बनकर पहुंचा जेल

मुजफ्फरपुर के मोहम्मदपुर थाना की पुलिस के हाथों हिंसक आंदोलन में गिरफ्तार हुआ 25 साल का सत्यम की अग्निवीर योजना में शामिल होने की उम्र भी नहीं रह गई है, लेकिन उसके अंदर आक्रोश की आग ने काफी क्षति पहुंचा दिया है। मूल रूप से कांटी वीरपुर का रहने वाला सत्यम वर्तमान में सर्वोदय नगर बीबीगंज में रह रहा है। पिता नरेश ठाकुर के साथ पूरा परिवार चंदन को तैयारी करा रहा था कि वह सरकारी नौकरी में लग जाए जिससे घर वालों का सारा संकट दूर हो जाए। लेकिन वह जेल पहुंच गया जिससे उसका पूरा कैरियर ही खराब हो गया है।

पिता नरेश ठाकुर को जब 17 जून की शाम पुलिस ने फोन किया और गिरफ्तारी की सूचना दी तो वह सन्न रह गए। पुलिस से लाख गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने एक न सुनी। पुलिस का कहना है कि उसे रंगे हाथ तोड़फोड़ करते पकड़ गया है। घर वालों का कहना है सत्यम दोस्तों के कहने पर गया था और इस बीच हिंसक हो गया। ऐसे में सत्यम भी फंस गया। सामान्य परिवार से आने वाले सत्यम के घर वालों का कहना है कि अब ताे पूरी उम्मीद ही टूट गई है।

आंदोलन के नाम पर संपत्ति को क्षति पहुंचाते आंदोलनकारी।

पुलिस के सवाल पर साध गए चुप्पी

पुलिस ने राकेश नाम के एक छात्र को पकड़ा है, लेकिन वह एंट्री की उम्र पार कर चुका है। पुलिस ने जब आंदोलन को लेकर सवाल किया तो पता चला कि वह सेना में एंट्री नहीं करना चाहता, लेकिन मामला बच्चों के भविष्य का था। इस कारण से वह आंदोलन में शामिल हो गया। कोचिंग के कनेक्शन का उसने भी खुलासा किया है। पुलिस को दिए बयान में उसने किसी के कहने पर आंदोलन में शामिल होने की बात कही है।

पुलिस के डर से छोड़ दिया घर

दानापुर में ट्रेन में आग लगाने वाले कई ऐसे युवकों की पुलिस को तलाश है जो उम्र दराज हैं। सेना में एंट्री के लिए न तो वह योग्य हैं और न ही उनके परिवार में कोई सेना में एंट्री के लिए तैयारी कर रहा है। इसके बाद भी आंदोलन में वह बड़ी कड़ी बनकर सामने आए। पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर वीडियो फुटेज निकालकर रखा है। इस आधार पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि दबिश के आद वह घर छोड़ फरार हो गए हैं।

गुरु से सेना का नहीं कोई वास्ता

गुरु रहमान के साथ पटना के आधा दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थानों का नाम सामने आया है। इन कोचिंग संस्थानों की भूमिका सवालों में है। वह आंदोलन में हवा देने का काम किए हैं। कोचिंग संचालकों को सबूत पुलिस के हाथ लगा है जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है। पटना पुलिस ने गुरु रहमान के साथ अन्य कोचिंग संस्थानों का नाम जैसे ही सामने लाया हड़कंप मच गया। पुलिस की छापेमारी में कई बड़ा खुलासा हुआ है। अब पुलिस मामले की छानबीन करने में जुटी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोचिंग में कई ऐसे संचालकों का नाम आया है जो सेना के बच्चों की तैयारी नहीं कराते हैं, लेकिन आंदोलन की आग में काफी आगे रहे। उनके बयान से आंदोलन की आग तेज हुई है।

गुरु रहमान अपने छात्रों के साथ।

इंटेलिजेंस से खुली पोल

इंटेलिजेंस शुरुआती दौर में तो फेल थी, लेकिन आंदोलन की आग जब तेज हुई तो एक्टिव हो गई है। इंटेलिजेंस ने 17 जून को रिपोर्ट दी कि आंदोलन में छात्रों के बीच में आराजक लाेग शामिल हो गए हैं। इस वजह से आंदोलन हिंसक हो गया। बाद में छात्रों की संख्या कम होती गई और आंदोलन से माहौल बिगाड़ने वालों की संख्या बढ़ गई। गुरु रहमान और अन्य कोचिंग संचालकों को भी पुलिस अराजकता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार मान रही है। खुफिया रिपोर्ट के बाद भी पटना से लेकर अन्य जिलों में डीएम ने लोगों को अलर्ट किया।